Publisher |
Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2024 |
ISBN-13 |
9789355217325 |
ISBN-10 |
9355217323 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
152 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
200 |
यह पुस्तक सिर्फ महाभारत की कथा का पुनर्पाठ भर नहीं है, अपितु महाभारत के एक प्रमुख महिला पात्र, पांडवों की माता 'कुंती' के साथ तात्कालिक समय की मनोयात्रा भी है।
पुस्तक बताती है कि कुंती समस्त कथा में परदे के पीछे रहकर भी इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों हैं। दरअसल महाभारत में पांडवों की मानसिक गुरु कुंती ही हैं। महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में अवश्य लड़ा गया, परंतु इसकी पटकथा उस दिन से रचित होना प्रारंभ हो गई थी, जब कुंती ने पांडवों के साथ वनवास न चुनकर विदुर के धर्मगृह में रहना चुना था । बड़े युद्ध न बड़े हथियारों से जीते जाते हैं, न बड़ी सेनाओं से, न बड़े वचनों से; बड़े युद्ध जीते जाते हैं तो बड़े संकल्प से... कुंती ने यह सिद्ध किया ।
कुंती अपराजिता इसलिए नहीं हैं कि वे कभी पराजित नहीं हुईं, बल्कि वे अपराजिता इसलिए हैं कि उन्होंने किसी भी पराजय को स्वयं पर आरोहित नहीं होने दिया, कैसी भी पराजय उनको पराजित नहीं कर पाई। कुंती के साथ-साथ यह पुस्तक कृष्ण की धर्मनीति की भी विवेचना करती है, जो कहती है-धर्म का उद्देश्य एक है, परंतु समय के साथ पथ में सुधार अवश्यंभावी है; पथ-विचलन नहीं होना चाहिए, परंतु पथसुधार आवश्यक है।
यह पुस्तक तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था, गुप्तचर व्यवस्था व युद्धनीति की भी झलक प्रस्तुत करती है।
Ankur Mishra
अंकुर मिश्रा
जन्म : कानपुर (उ.प्र.) ।
शिक्षा : यांत्रिकी अभियांत्रिकी से स्नातक, CAIIB
प्रकाशन : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन। वर्ष 2018 में प्रथम कहानी-संग्रह 'द जिंदगी', वर्ष 2020 में द्वितीय कहानी-संग्रह 'कॉमरेड' तथा वर्ष 2021 में प्रथम उपन्यास 'गंगापुत्र भीष्म' का प्रकाशन ।
सम्मान : कहानी-संग्रह 'द जिंदगी' के लिए सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान 2018, कहानी-संग्रह कॉमरेड नवलेखन उपक्रम में चयनित, गंगापुत्र भीष्म को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार 2022।
संप्रति : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक ।
संपर्क : एम 714, आवास विकास 1, केशवपुरम्, कानपुर (उ.प्र.)
इ-मेल : mynameankur@gmail.com
Ankur Mishra
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