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Publisher | Rajkamal Prakashan |
Publication Year | 2025 |
ISBN-13 | 9789360863906 |
ISBN-10 | 9360863904 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 216 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1.5 |
Weight (grms) | 220 |
‘शून्य की झील में प्रेम’ में लौकिक प्रेम को अलौकिक प्रेम में परिवर्तित होते हुए देखना सुखद अनुभूति है। प्रेम जिसकी महिमा आदिकाल से आराध्य देवताओं से लेकर साधारण मनुष्य तक व्याप्त है जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया और जब तक जीवित रहा। —ख़ुदेजा ख़ान मयंक मुरारी का नवीनतम कविता-संग्रह ‘शून्य की झील में प्रेम’ विश्व के प्रेम साहित्य को नए अरमानों से सुसज्जित करने का सुपर्ण सुयत्न है जिसके महत्त्व पर ख़ुदेजा ख़ान और स्वयं कवि ने यथेष्ट प्रकाश डाला है। कुछ आरम्भिक उद्धरण इसे पूर्णता प्रदान करते हैं। इसमें मेरे जैसे पाठक के लिए कुछ भी जोड़ पाना असम्भव है। यह प्रेम का मधु है जो मौन की अपेक्षा करता है। मयंक जी सिद्धहस्त एकान्त निस्पृह साधक हैं जिनका कवि-कर्म किसी तारीफ का मोहताज नहीं। उन्होंने इन टुकड़ों में अपना हृदय-रस उड़ेल दिया है जो समस्त भारतीय मानस को रसाप्लावित करेगा। शून्य की झील इश्क और अध्यात्म के सामासिक ऐश्वर्य को इंगित करने वाला प्रतीक बन मयंक मुरारी की काव्य-साधना का महत्तम राग बन जाती है। इसी के साथ वे न केवल हिन्दी बल्कि सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के उन सारस्वत कवियों के शिरोमणि बनने की ओर अग्रसर हैं जो इश्क़ के रूहानी और डिवाइन तत्वों का प्रतिनिधित्व करने की सामर्थ्य रखते हैं। प्रत्येक टुकड़े की शिरोरेखा की भाँति प्रदत्त गद्य मुखड़े पूरी पुस्तक को नई रश्मियों से आलोकित करते हैं। यह पुस्तक सहृदय पाठकों का हृदय हार बने, यही कामना है। अस्तु। —अरुण कमल
Mayank Murari
Rajkamal Prakashan