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Gita Shree
जन्म: 31 दिसंबर, 1965, मुजफ्फरपुर (बिहार)। औरत की आजादी और अस्मिता की पक्षधर गीताश्री के लेखन की शुरुआत कॉलेज के दिनों से ही हो गई थी और वह रचनात्मक सफर पिछले कई सालों से जारी है। साहित्य की प्राय: सभी विधाओं में दस्तक। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया में काम करने का लम्बा अनुभव। देश की सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रिपोर्ताज और यात्रा-वृत्तान्त प्रकाशित, जो कहीं न कहीं से औरत की पहचान का आईना बने । एक पत्रकार और संस्कृतिकर्मी के रूप में ईरान, अमेरिका, चीन, बेल्जियम, जर्मनी, ब्रिटेन, तिब्बत और प्रमुख खाड़ी देशों के अलावा सीरिया जैसे देशों की यात्रा। देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों की ओर से फेलोशिप, जिनमें नेशनल फाउंडेशन फॉर मीडिया फेलोशिप (2008), इनफोचेंज मीडिया फेलोशिप (2008), नेशनल फाउंडेशन फॉर मीडिया (2010) और सेंटर फॉर सांइस एंड इनवायरमेंट (2010) प्रमुख हैं। राजस्थान के बंधुआ मजदूरों के दर्द को शब्द देने के लिए ग्रासरूट फीचर अवार्ड, औरत की अस्मिता पर लेखन के लिए न्यूजपेपर एसोसिएशन और मातृश्री अवार्ड। वर्ष 2008-09 में पत्रकारिता का सर्वोच्च पुरस्कार रामनाथ गोयनका, बेस्ट हिंदी जर्नलिस्ट ऑफ द इयर समेत अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त। कई पत्र-पत्रिकाओं की कॉलमिस्ट रहीं और सिनेमा और कला के लिए भी लिखा। अब तक चार कहानी-संग्रह, एक उपन्यास। स्त्री-विमर्श पर चार शोध किताबें प्रकाशित। कई चर्चित किताबों का संपादन-संयोजन। 24 सालों तक सक्रिय पत्रकारिता के बाद फिलहाल स्वतंत्र पत्रकारिता और साहित्य-लेखन ! संपर्क: डी-1142, गौर ग्रीन एवेन्यू, अभय खंड-2, इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।.
Gita Shree
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