Availability: Out of Stock
Shipping-Time: Usually Ships 3-5 Days
0.0 / 5
| Publisher | Sahitya Academy |
| Publication Year | 2016 |
| ISBN-13 | 9788126050574 |
| ISBN-10 | 8126050578 |
| Binding | Paperback |
| Number of Pages | 247 Pages |
| Language | (Hindi) |
साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत पंजाबी उपन्यास तौशाली दी हंसो का हिंदी अनुवाद है। जसवंत सिंह कँवल द्वारा लिखित यह ऐतिहासिक उपन्यास सम्राट अशोक और कलिंग के बीच हुए भीषण युद्ध की घटनाओं पर आधारित है। इस युद्ध के वीभत्स परिणाम से सम्राट अशोक के जीवन में एक भारी बदलाव आया। उसने हिंसा को त्याग कर अहिंसा की राह और प्रजा के प्रति लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण को अपनाया। भारत और दक्षिण एशियाई देशों सहित संसार के एक बड़े हिस्से पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ा।
लेखक ने ऐतिहासिक तथ्यों के बीच अपनी बौद्धिक और कलात्मक कल्पना के सहारे उस समय की राजनीतिक और सांस्कृतिक छवियाँ प्रस्तुत की हैं। नर्तकी ‘हंसो’ के चरित्र की दृढ़ता सम्राट अशोक तथा उसके अनेक मंत्रियों की अंतश्वेतना पर ऐसा असर डालती है कि वे सब जीतकर भी पराजित महसूस करते हैं।
इस उपन्यास को भारत की बहुलतावादी सांस्कृतिक बुनावट की प्रस्तुति, श्रेष्ठ मूल्यों के लिए गहरी चाह और अपनी मोहक शैली के कारण पंजाबी में लिखित भारतीय कथा साहित्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण योगदान माना जा सकता है। आशा है कि हिंदी में अनूदित इस उपन्यास को पर्याप्त साहित्यिक स्नेह प्राप्त होगा।
Jaswant Singh
Sahitya Academy