UPSC Wala Love: Collector Sahiba (Hindi)

Author :

Kailash Manju Bishnoi

Publisher:

Manjul Publishing House Pvt. Ltd.

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Publisher

Manjul Publishing House Pvt. Ltd.

Publication Year 2024
ISBN-13

9789355437099

ISBN-10 9355437099
Binding

Paperback

Number of Pages 162 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 1.2
Weight (grms) 150

इस उपन्यास की मुख्य किरदार एक आईएएस अधिकारी एंजल है। इस रचना के माध्यम से एंजल की जिजीविषा और संघर्ष के धागों से बुनी हुई कहानी को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उसके आईएएस में चयनित हो जाने के बाद मसूरी के लबासना ट्रेनिंग माहौल को भी चित्रित करने की कोशिश की गई है। शुरुआती अध्यायों में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले चार अभ्यर्थियों के यारी दोस्ती के किस्से हैं। यह उपन्यास भारत के हर उस नवयुवक की कहानी है जो बड़े सपने देखता है और समाज और दोस्तों के ताने सुनकर भी अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहता है। साथ ही कोरोना काल में प्रतियोगी छात्रों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उसका भी चित्रण किया है। इसके अलावा इस रचना के माध्यम से प्रशासनिक भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। इस कृति की लव स्टोरी छोटे शहरों की छोटी सोच से लड़ने की स्टोरी है। यह प्यार और आईएएस कैडर में से किसी एक को चुनने से जुड़ी हुई एक रोचक कहानी है। पैसा, पद, पावर, सामाजिक स्टेटस से ज्यादा अपने प्रेम को अहमियत देकर गिरीश और एंजल ने सामाजिक बंदिशों की छाया अपने रिश्ते पर नहीं पड़ने दी तथा हमेशा एक-दूसरे की ताकत बन खड़े रहे और आखिरकार एक दूसरे के हो गए। एक तरह से पूरी कहानी में मोहब्बत की सौंधी खुशबू बसी है।

Kailash Manju Bishnoi

कैलाश मांजू बिश्नोई का जन्म राजस्थान के जोधपुर में स्थित लोहावट नामक गाँव में हुआ। लोहावट के सीनियर सेकेंडरी स्कूल से स्कूली शिक्षा पूर्ण के बाद जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। स्नातक करने के बाद यूपीएससी की तैयारी के दौरान ही हिन्दी और इतिहास विषय में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर यूजीसी नेट/जेआरएफ़ परीक्षा भी पास की। उनकी खेलों के साथ-साथ अध्ययन के प्रति रूचि बाल्यकाल से ही थी। दैनिक जागरण में आपके ऊर्जा और आजकल कॉलम में प्रकाशित समसामयिक और मोटिवेशनल आलेख पाठकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। आपके राष्ट्रीय अखबारों में अब तक 400 से ज्यादा एडिटोरियल आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।
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