Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2023 |
ISBN-13 |
9789394902572 |
ISBN-10 |
9394902570 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
272 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
24.5 X 16.5 X 2.5 |
वाराणसी जनपद शुरू से ही आंदोलनों की पहली पंक्ति में रहता आया है। विद्या और नवचेतना का केंद्र होने के कारण यह नगर शुरू से ही देश के बुद्धिजीवियों का नेतृत्व करता रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में भी उसने यह चुनौती स्वीकार की और इस नगर ने कई महत्त्वपूर्ण नेता और कार्यकर्ता स्वतंत्रता आंदोलन को दिए। गांधी जी का अहिंसक आंदोलन हो या क्रांतिकारियों का हिंसक आंदोलन सभी जगह काशी के कार्यकर्ताओं का वर्चस्व था।
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध पहला मोहभंग काशी में ही उजागर हुआ जब काशिराज महाराज चेतसिंह ने ब्रिटिश गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स की जोर-जबरदस्ती के सामने नतमस्तक होने से इनकार कर दिया। इसी कड़ी में अठारह वर्ष बाद काशी राज के दीवान बाबू जगतसिंह ने अवध के निष्कासित नवाब वजीर अली का समर्थन किया और उन्हें कालापानी की सजा भोगनी पड़ी।
हिंदी आंदोलन, स्वदेशी की चेतना और देश का धन विदेश चले जाने की बेचैनी, भारतेंदु हरिश्चंद्र के चिंतन की मूल पीठिका है। इस लड़ाई में वे आधुनिक साधनों से लड़ने के लिए कटिबद्ध हुए। उनका मन और भाषाबोध मध्ययुगीन था, लेकिन चिंतन आधुनिक था। वे उस समय की भारतीय नवचेतना के प्रतीक थे जो एक नई शताब्दी में प्रवेश कर रही थी।
वर्तमान पुस्तक काशी और वाराणसी को एक नए दृष्टिबोध के साथ समझने का एक प्रयास है।
Kumar Nirmalendu
जन्म: 21 अक्टूबर, 1967 को बिहार में मुंगेर प्रमण्डल के शेखपुरा जिलान्तर्गत सादिकपुर नामक गॉव में । शिक्षा: इतिहास विषय से एम.ए. । गतिविधियाँ: विगत तो दशकों से राजकीय सेवा में । वर्तमान में उत्तर प्रदेश खादूय एवं रसद विभाग में राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत । साहित्य सेवा: हिन्दी साहित्य और इतिहास दोनों ही विषयों में समान रूप से सक्रिय । साहित्य, कला एवं संस्कृति सम्बन्धी विषयों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनियमित लेखन । प्रकाशित और सम्पादित पुस्तकें: 'मगधनामा' तथा ‘उपकार सामान्य हिन्दी, रूपरेखा, व्याकरण एवं प्रयोग' । महात्मा गॉधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा के प्रो. कृष्ण कुमार सिह के साथ मिलकर 'प्रेमचन्द: जीवन-दृष्टि और संवेदना' नामक पुस्तक का सम्पादन, डॉ. गणेश पाण्डेय के साथ मिलकर 'यात्रा' नामक एक अनियतकालीन साहित्यिक लधु पत्रिका का सम्पादन
Kumar Nirmalendu
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd