Nadan Premam

Author :

S. K. Pottekat

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2020
ISBN-13

9789389742886

ISBN-10 9389742889
Binding

Hardcover

Number of Pages 73 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 1.5
Weight (grms) 200

‘नादान प्रेमम्’ एक प्रतिष्ठित कथाकार का प्रथम उपन्यास है। रासायनिक स्वादों से साहित्य को दूर रखने का ख़याल एस.के. पोट्टेक्काट्ट ने हमेशा रखा। आम आदमी के जीवन की परिस्थितियों को विषय-वस्तु बनाकर विशिष्ट कृतियाँ लिखने में वे सव्यसाची-सरीखे थे। ‘नादान प्रेमम्’ गाँव-देहात की मुहब्बत की दास्तान है। लेखक के लिए चिर-परिचित गाँव मुक्कम तथा उधर की इरुवषमि नदी का परिवेश उपन्यास की सहजता को बढ़ाता है। इक्कोरन और मालू इसके मुख्य पात्र हैं। छल-कपट से मुक्त प्रेमिका के दिल की धड़कन का वर्णन मार्मिक है। क्या नादान होना ख़तरनाक है? यह सन्देश भी उपन्यास पढ़ते समय पाठकों के मन में सहज ही उभर आएगा। रोचक कथानक, सहज परिवेश, ग्रामीण पात्र, पात्रानुकूल भाषा, लोकजीवन के बिम्ब आदि इस उपन्यास की ख़ूबियाँ हैं। आलोचक प्रवर प्रो. के.एम. तरकन ने इस उपन्यास का मूल्यांकन ग्रामांचल में घटित होनेवाले ‘शाकुन्तल’ के रूप में किया है। उपन्यासकार ने ‘नादान प्रेमम्’ को अपनी पहली सन्तान का दर्जा दिया है। गौण प्रसंगों में भी गम्भीरता के बीजों को तलाशने की प्रवृत्ति यहाँ द्रष्टव्य है। यह उपन्यास प्रेम की निष्ठा को उजागर करता है, लेकिन कभी निष्ठा का परिणाम धोखा भी होता है। मानवता के उत्कर्ष की वकालत करनेवाले लेखक की एक अनुपम कृति है ‘नादान प्रेमम्’।

S. K. Pottekat

एस.के. पोट्टेक्‍काट्ट पूरा नाम शंकरन कुट्टी पोट्टेक्काट्ट जन्म : 14 मार्च, 1913; कालीकट, केरल। विशेष : सन् 1962 में लोकसभा के सदस्य चुने गए। 1971 में केरल साहित्य अकादेमी के सभापति मनोनीत किए गए। अपने प्रगतिवादी विचारों के कारण वे सोवियत रूस की भी यात्रा कर चुके थे। वहाँ उनकी कई रचनाओं के अनुवाद हुए। प्रमुख कृतियाँ : ‘ओरु तेरर्शवंटे कथा’, ‘ओरु देसाथिंटे कथा’, ‘नादान प्रेमम्’, ‘चन्‍द्रकान्‍तम्’, ‘मणिमलिका’ आदि। सम्‍मान : ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘केरल साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ आदि। निधन : 6 अगस्‍त, 1982
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