Aao Pepe, Ghar Chalen!

Author:

Prabha Khetan

Publisher:

VANI PRAKSHAN

Rs239 Rs299 20% OFF

Availability: Available

    

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Publisher

VANI PRAKSHAN

Publication Year 2021
ISBN-13

9789390678556

ISBN-10 9789390678556
Binding

Hardcover

Number of Pages 144 Pages
Language (Hindi)
प्रभा खेतान का यह उपन्यास आओ पेपे, घर चलें! मूलतः स्त्री-केन्द्रित उपन्यास है, जो अमेरिका की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। इसमें प्रभा स्वयं उपस्थित हैं। यह उस समय की मार्मिक कहानी है, जब प्रभा सिर्फ़ 22 वर्ष की थीं और ब्यूटी थैरेपी का कोर्स करने अमेरिका गयी थीं। प्रभा ने स्वयं निकट से वहाँ के भयावह सच को देखा-जाना, बुरे-से-बुरे पहलुओं से साक्षात्कार किया और स्वप्निल अमेरिका जिस आकार में उभर कर सामने आया, उसने प्रभा को सन्त्रास्त कर दिया। वास्तव में यह कहानी अमेरिकन वृद्धा आइलिन और उसके एलसेशियन कुत्ते पेपे के प्रसंगों के इर्द-गिर्द घूमती हुई आगे बढ़ती है। आइलिन रूखी और सख़्त मिज़ाज है, पर उसके भीतर मानवीय संवेदना के स्रोत फूटे पड़ते हैं। पेपे उसके जिगर का टुकड़ा है, जैसे कि उसी का जन्मा बच्चा। और स्त्रिायाँ भी हैं इसमें। हेल्गा है, जिसका घर टूट रहा है, पर वह विचलित नहीं, बिटिना है, जो माँ से जवाब तलब करने की क्षमता रखती है, कैथी जैसी जीवन्त महिला है, जिसे नीग्रो लोगों का घिराव नर्वस कर देता है, मिसेज़ डी. है, क्लारा है और भी स्त्रिायाँ हैं, जो कथ्य को सुगठित बनाती हैं। कुल मिलाकर यह उपन्यास असंगतियों से जूझते हुए मनुष्य की चुप्पी को चीख़ में बदलने का अहसास जगाता है।

Prabha Khetan

"प्रभा खेतान जन्म : 1 नवम्बर, 1942 शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (दर्शनशास्त्र)। प्रकाशित कृतियाँ : आओ पेपे घर चलें!, छिन्नमस्ता, पीली आँधी, अग्निसंभवा, तालाबंदी, अपने-अपने चेहरे (उपन्यास); अपरिचित उजाले, सीढ़ियाँ चढ़ती हुई मैं, एक और आकाश की खोज में, कृष्ण धर्मा मैं, हुस्न बानो और अन्य कविताएँ अहल्या (कविता); उपनिवेश में स्त्री, सार्त्र का अस्तित्ववाद, शब्दों का मसीहा : सार्त्र, अल्बेयर कामू : वह पहला आदमी (चिन्तन); साँकलों में कैद कुछ क्षितिज (कुछ दक्षिण अफ्रीकी कविताएँ), स्त्री : उपेक्षिता (सीमोन द बोउवार की विश्व-प्रसिद्ध कृति द सेकंड सेक्स) (अनुवाद)। एक और पहचान, हंस का स्त्री विशेषांक भूमंडलीकरण : पितृसत्ता के नये रूप (सम्पादन)। निधन : 20 सितम्बर, 2008"
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