Publisher |
VANI PRAKSHAN |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389563887 |
ISBN-10 |
9789389563887 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
80 Pages |
Language |
(Hindi) |
साहित्य के किसी भी वाद या नारेबाज़ी से मेरा सम्पर्क नहीं है, न ही मैं साहित्य के प्रति प्रतिबद्ध हूँ। कविता मेरी ज़रूरत है, एक रिलीज़, मेरे व्यक्तित्व की एक अभिव्यक्ति। इसके प्रकाशन के पीछे मेरी केवल एक यही इच्छा है कि मैं उन सबके साथ जो मेरी ही तरह साधारण हैं, कुछ अपनी बातें कर सकूँ। मैं किसी भी पीढ़ी से सम्बन्धित नहीं। एक व्यक्ति की हैसियत से, उसकी अपनी भावनात्मक ज़रूरतों के हिसाब से लिखी गयी ये कविताएँ, उन सबके लिए हैं जो एक तरह से असाहित्यिक हैं, जो साहित्य की दुनिया में भय से कदम नहीं रखते, पर जो जीवन के प्रति कवि-दृष्टि रखते हैं और कविता से कभी-कभी संवाद भी कर लेते हैं। वैसे ही साधारण और असाहित्यिक लोग मेरे साथ रहे हैं, उसी खेमे को ये कविताएँ समर्पित हैं
Prabha Khetan
"प्रभा खेतान
जन्म : 1 नवम्बर, 1942
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (दर्शनशास्त्र)।
प्रकाशित कृतियाँ : आओ पेपे घर चलें!, छिन्नमस्ता, पीली आँधी, अग्निसंभवा, तालाबंदी, अपने-अपने चेहरे (उपन्यास); अपरिचित उजाले, सीढ़ियाँ चढ़ती हुई मैं, एक और आकाश की खोज में, कृष्ण धर्मा मैं, हुस्न बानो और अन्य कविताएँ अहल्या (कविता); उपनिवेश में स्त्री, सार्त्र का अस्तित्ववाद, शब्दों का मसीहा : सार्त्र, अल्बेयर कामू : वह पहला आदमी (चिन्तन); साँकलों में कैद कुछ क्षितिज (कुछ दक्षिण अफ्रीकी कविताएँ), स्त्री : उपेक्षिता (सीमोन द बोउवार की विश्व-प्रसिद्ध कृति द सेकंड सेक्स) (अनुवाद)। एक और पहचान, हंस का स्त्री विशेषांक भूमंडलीकरण : पितृसत्ता के नये रूप (सम्पादन)।
निधन : 20 सितम्बर, 2008"
Prabha Khetan
VANI PRAKSHAN