Adhkhaya phal (Hindi)

Author:

Anand Harshul

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs169 Rs199 15% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9789394902671

ISBN-10 9394902678
Binding

Paperback

Edition 2nd
Number of Pages 115 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22.5X14.5X1
Weight (grms) 125

‘अधखाया फल’ आनंद हर्षुल का तीसरा कहानी-संग्रह है। उनके पिछले दोनों संग्रहों की कहानियों के अनूठे शिल्प और संवेदनशील भाषा की ख़ासी चर्चा हुई थी। शिल्प-सजगता और भाषा का अपूर्व सौष्ठव तीसरे संग्रह की इन कहानियों में भी मौजूद है। यथार्थ के साथ रोमांस के जिस सर्जनात्मक दुस्साहस के लिए आनंद हर्षुल जाने जाते हैं, वह यहाँ भी उनके विलक्षण कथा-गद्य में प्रकट हुआ है। यह ऐसा गद्य है जो इन दिनों प्रचलित कथात्मक गद्य की स्थूलरूढ़ियों–विवरणात्मकता, वृत्तांत के निपट एकरैखिक विन्यास, यथार्थ की सपाट समाजशास्त्रीयता आदि–के बरअक़्स किंचित स्वैरमूलक, बहुस्तरीय और स्मृतिबहुल रूप ग्रहण करता है। इस रूप में यह कहानी के जाने-पहचाने गद्य का प्रतिलोम जान पड़ता है। ऐसा नहीं है कि आनंद की कहानियों में घटनाएँ या विवरण नहीं हैं; लेकिन ये कहानियाँ सिर्फ़ घटनाओं या स्थूल विवरणों पर निर्भर होतीं तो कोरे वृत्तांत में सिमटकर रह जातीं। आनंद संवेदना की गहराइयों तक जाते हैं और सूक्ष्म ब्यौरों में उसे सिरजते हैं। उनकी कहानियाँ घटनात्मक विस्तार में फैलने के बजाय संवेदना की बारीकी को पकड़ती हैं। इसलिए मामूली-सी घटना या कोई विडंबनापूर्ण जीवन-स्थिति उनके यहाँ अपनी प्रकट वास्तविकता से ऊपर उठकर धीरे-धीरे भाषा के जादुई संसार में प्रवेश करती है, और स्वैर भाव से अपनी यथार्थता को रचती है। यह कहानी की कीमियागीरी है जो साधारण को विलक्षण में बदल देती है। ..प्रेम इस संग्रह की ज़्यादातर कहानियों का केन्द्रीय थीम है। यहाँ प्रेम के अनुभव के अलग-अलग रूप-रंग, छवियाँ और आस्वाद हैं। ...आनंद ने बहुत मार्मिक ढंग से इन्हें रचा है। उन्होंने अभाव और भूख के मर्म को भी वैसी ही आन्तरिक विकलता के साथ पकड़ा है, जिस तरह प्रेम के मर्म को। ...यहाँ पात्र कथाकार की कठपुतलियाँ नहीं हैं; वे अपने आसपास की निष्ठुर वास्तविकता–अभाव, दुख और यंत्रणा–को भीतर तक महसूस करते स्पंदित मनुष्य हैं। उनके जीवन-यथार्थ को अनुभूति के सूक्ष्म स्तरों पर ग्रहण करने की संवेदनशीलता के चलते भी इस संग्रह की कहानियाँ उल्लेखनीय सिद्ध होंगी। –जय प्रकाश

Anand Harshul

न्म : 23 जनवरी, 1959 को छत्तीसगढ़ के बगिया (रायगढ़) में हुआ। शिक्षा : कानून तथा पत्रकारिता में स्नातक। लेखन का प्रारम्भ कविता से। पहली कविता 1981 में और पहली कहानी 1984 में प्रकाशित हुई। इधर कई वर्षों से सिर्फ कथा लेखन। उनका पहला कहानी संग्रह बैठे हुए हाथी के भीतर लड़का 1997 में प्रकाशित हुआ। उसके बाद पृथ्वी को चन्द्रमा 2003 में। अधखाया फल (2009) उनकी कहानियों का तीसरा संग्रह है। रेगिस्तान में झील उनकी कहानियों का चौथा संग्रह है, जिसमें प्रारम्भ से 2001 तक की कहानियाँ संकलित हैं। सम्मान : बैठे हुए हाथी के भीतर लड़का के लिए, मध्यप्रदेश साहित्य परिषद का 'सुभद्रा कुमारी चौहान' पुरस्कार (1997) तथा पृथ्वी को चन्द्रमा के लिए 'विजय वर्मा अखिल भारतीय कथा सम्मान’ (2003) से सम्मानित हैं। उनकी कुछ कहानियों का मलयालम, उर्दू, पंजाबी तथा जर्मन भाषा में अनुवाद हुआ है।
No Review Found
More from Author