Agaria

Author:

Veriar Elwin

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2007
ISBN-13

9788126712953

ISBN-10 9788126712953
Binding

Hardcover

Number of Pages 331 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 541
अगरिया' शब्द का अभिप्राय संभवत: आग पर काम करने वाले लोगों से है अथवा आदिवासियों के देवता, अघासुर से, जिनका जन्म लौ से हुआ, माना जाता है । अगरिया मध्य भारत के लोहा पिघलाने वाले और लोहारी करने वाले लोग हैं जो अधिकतर मैकाल पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते हैं लेकिन 'अगरिया क्षेत्र' को डिंडोरी से लेकर नेतरहाट तक रेखांकित किया जा सकता है । गोंड, बैगा और अन्य आदिवासियों से मिलते-जुलते रिवाजों और आदतों के कारण अगरिया की जीवन-शैली पर बहुत कम अध्ययन किया गया है । हालाँकि उनके पास अपनी एक विकसित टोटमी सभ्यता है और मिथकों का अकूत भंडार भी, जो उन्हें भौतिक सभ्यता से बचाकर रखता है और उन्हें जीवनीशक्ति देता है । इस पुस्तक के बहाने यह श्रेय प्रमुख नृतत्वशास्त्री वेरियर एलविन को जाता है कि उन्होंने अगरिया जीवन और संस्कृति को इसमें अध्ययन का विषय बनाया है । एलविन के ही शब्दों में, मिथक और शिल्प का संगम ही इस अध्ययन का केन्द्रीय विषय है जो अगरिया को विशेष महत्त्व प्रदान करता है । इसके विभिन्न अध्यायों में अगरिया इतिहास, संख्या और विस्तार, मिथक, टोना-टोटका, शिल्प, आर्थिक स्थिति और पतन की चर्चा एव विश्लेषण के माध्यम से एक वैविध्यपूर्ण संस्कृति, जिसका अब पतन हो चुका है, की आश्चर्यजनक आतरिक झाँकी प्रदान की गई है ।

Veriar Elwin

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