Bahanon Ka Jalsa (Hindi)

Author:

Suryabala

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788119028016

ISBN-10 8119028015
Binding

Paperback

Edition 1st
Number of Pages 144 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22X14X1
Weight (grms) 152

बहनों का जलसा सूर्यबाला की कहानियों का नया संकलन है। अपनी कहानियों के बारे में उनका कहना है : ‘मनुष्य में से मनुष्यता का खारिज होते जाना ही मेरी कहानियों की दुखती रग है।’ और इसे वे सभ्यता की उस दिशा से जोड़ती हैं, जिधर वह जा रही है, जिधर हम जा रहे हैं। बिना किसी आन्दोलन का हिस्सा हुए, और बिना किसी विमर्श का सायास अनुकरण किए, सूर्यबाला ने अपनी कहानियों में पठनीयता और प्रवाह को बरकरार रखते हुए, सभ्यता की संवेदनहीन यात्रा में असहाय चलते पात्रों के अत्यन्त सजीव चित्र खींचे हैं। बेहद साधारण और जीवन में रचे-बसे मध्यवर्गीय चरित्रों के मनोजगत से वे उन पीड़ाओं का संधान करती रही हैं जिनके दायरे में पूरी मानवता आ जाती है। रिश्तों और भावनात्मक निर्भरता के जो धागे भारतीय समाज को विशिष्ट बनाते हैं, उनकी टूटन खासतौर पर उनका ध्यान खींचती है। इस प्रक्रिया में स्त्री कैसे सबसे ज्यादा खोती है, यह भी क्योंकि वही वह धुरी है जिसके इर्द-गिर्द परिवार बसता है, और फिर समाज आकार लेता है। दुखद विसंगतियाँ, विडम्बनाएँ, मन की तहों के भीतर हरदम चलते संघर्ष, इन सबको उनकी कहानियाँ, उनके ही शब्दों में कहें तो, ‘यथासम्भव नेकनीयती के साथ तलाशती और सहेजती रहती है।’ यह नेकनीयती, कह सकते हैं कि उनकी लेखकीय और नागरिक चेतना का सत्व है; और उनकी कहानियों का प्राण भी जिसके चलते वे हर उम्र के पाठकों को प्रिय रही हैं।

Suryabala

जन्म : 25 अक्टूबर, 1943; वाराणसी। शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी., काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। प्रमुख कृतियाँ : कौन देस को वासी : वेणु की डायरी, मेरे संधि-पत्र, सुबह के इन्तजार तक, अग्निपंखी, यामिनी कथा, दीक्षांत (उपन्यास); एक इन्द्रधनुष जुबेदा के नाम, दिशाहीन, थाली-भर चाँद, मुँडेर पर, गृहप्रवेश, साँझवाती, कात्यायनी संवाद, मानुष-गंध, गौरा गुनवंती (कहानी); अजगर करे न चाकरी, धृतराष्ट्र टाइम्स, देश सेवा के अखाड़े में, भगवान ने कहा था, यह व्यंग्य कौ पंथ (व्यंग्य); अलविदा अन्ना (विदेश संस्मरण); झगड़ा निपटारक दफ्तर (बाल हास्य उपन्यास)। कई रचनाएँ भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनूदित। टीवी धारावाहिकों के माध्यम से अनेक कहानियों, उपन्यासों तथा हास्य-व्यंग्यपरक रचनाओं का रूपान्तर प्रसारित। ‘सजायाफ्ता’ कहानी पर बनी टेली िफल्म को वर्ष 2007 का सर्वश्रेष्ठ टेली िफल्म पुरस्कार। सम्मान : प्रियदर्शिनी पुरस्कार, व्यंग्यश्री पुरस्कार, रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार, हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान, महाराष्ट्र साहित्य अकादेमी का राजस्तरीय सम्मान, महाराष्ट्र साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च शिखर सम्मान, राष्ट्रीय शरद जोशी प्रतिष्ठा पुरस्कार, भारतीय प्रसार परिषद का भारती गौरव सम्मान आदि से सम्मानित।
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