Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9788126701407 |
ISBN-10 |
9788126701407 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
120 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
1000 |
भीष्म साहनी ऐसे कथाकार थे जिन्हें किसी आन्दोलन ने न कभी विचलित किया, न प्रेरित किया। कला और यथार्थ के साथ उनका अपना निजी रिश्ता था, जिसे उन्होंने आखिर तक अक्षत बनाए रखा। जीवन, जीवन को चुनौती देनेवाले विद्रूप और उसे बल देनेवाले सौन्दर्यबोध की शाश्वत मौजूदगी, अहि उनका संसार था । 'डायन' का प्रकाशन 1998 में हुआ था, और यह उनके जीवन-काल में प्रकाशित उनका अंतिम कहानी-संग्रह था। इसके बाद उनका उपन्यास 'नीलू नीलिमा निलोफर' और आत्मकथा 'आज के अतीत' ही प्रकाशित हुए। आजादी की पचासवीं वर्षगाँठ पर प्रकाशित इस संकलन में भी उस पीड़ा की तारतम्यिक उपस्थिति दिखाई देती है जिससे भीष्म जी की संवेदना आजादी की शुरुआती सुबहों से ही जुड़ गई थी और जिसका चरम 'तमस' में प्रकट हुआ-विभाजन और सांप्रदायिक क्रूरता। इस संकलन की 'बीरो' कहानी पुनः विभाजन की तरफ लौटती है, वह बीरो जो बँटवारे के वक्त पाकिस्तान में रह गई थी, और बाद में सलीमा बनकर वहीँ की हो गई। लेकिन भीतर के तार जो सीमाओं की बाद को लाँघकर दोनों मुल्कों की गलियों में बार-बार आ पहुँचते है, अब भी बीरो के ह्रदय में सजीव हैं । 'डायन' कहानी मध्यवर्गीय मानसिकता की ऊहापोह का बिम्ब है । अन्य कहानियाँ भी पचास वर्षों में अपना रूप-स्वरुप तलाशती सामाजिकता के ही विभिन्न रेशों को रेखांकित करती हैं ।
Bhishm Sahni
जन्म : 8 अगस्त, 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में।
शिक्षा : हिन्दी-संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा घर में। स्कूल में उर्दू और अंग्रेजी। गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., फिर पंजाब विश्वविद्यालय से पी-एच.डी.।
बँटवारे से पूर्व थोड़ा व्यापार, साथ-ही-साथ मानद (ऑनरेरी) अध्यापन। बँटवारे के बाद पत्रकारिता, इप्टा नाटक मंडली में काम, बंबई में बेकारी। फिर अम्बाला में एक कॉलेज में तथा खालसा कॉलेज, अमृतसर में अध्यापन। तत्पश्चात् स्थायी रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में साहित्य का प्राध्यापन। इस बीच लगभग सात वर्ष 'विदेशी भाषा प्रकाशन गृह’, मॉस्को में अनुवादक के रूप में कार्य। अपने इस प्रवासकाल में उन्होंने रूसी भाषा का यथेष्ट अध्ययन और लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का अनुवाद किया। करीब ढाई साल 'नई कहानियाँ’ का सौजन्य-सम्पादन। प्रगतिशील लेखक संघ तथा अफ्रो-एशियाई लेखक संघ से सम्बद्ध।
Bhishm Sahni
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd