Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2002 |
ISBN-13 |
9788126705429 |
ISBN-10 |
9788126705429 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
195 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
330 |
निशाचर प्रख्यात कथाकार भीष्म साहनी की रचनाओं ने हिन्दी के समकालीन कथा-साहित्य को एक नई दिशा दी है। अतीत, वर्तमान और भविष्य - तीनों कालों में जीवित उनकी कहानियों के पात्र किन्हीं नियतिवादी विचारों से प्रभावित नहीं होते, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्षरत शक्तियों से जुड़कर नया अर्थ ग्रहण करते हैं। निशाचर भीष्म साहनी का महत्त्वपूर्ण कहानी-संग्रह है। इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय सम्बन्धों के बदलते- बिगड़ते रूपों को जिस आत्मीयता के साथ हमारे सामने उभारती हैं, वह हिन्दी कथा-साहित्य की अमूल्य निधि है। भीष्मजी के पास एक साफ-सुलझी जीवन-दृष्टि है, जो उनके अनुभवों को तार्किक व्यवस्था प्रदान करती है। सीधी-सादी शैली में चित्रित इन कहानियों के पात्र परिस्थितियों से आक्रान्त होकर किसी काल्पनिक दुनिया में पलायन नहीं करते, बल्कि जिन्दगी के कड़वाहट-भरे यथार्थ से साहस के साथ टकराते हैं। भीष्म साहनी स्थितियों की भयावहता और बीभत्सता का चित्रण कर चुप्पी नहीं साध लेते, बल्कि उन स्थितियों से टकराते व्यक्तियों और सामाजिक शक्तियों से अपना सक्रिय रिश्ता भी कायम करते हैं। इस संग्रह की कहानियाँ, भीष्मजी की सृजनशीलता के नए आयामों को भी रेखांकित करती हैं।
Bhishm Sahni
जन्म : 8 अगस्त, 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में।
शिक्षा : हिन्दी-संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा घर में। स्कूल में उर्दू और अंग्रेजी। गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., फिर पंजाब विश्वविद्यालय से पी-एच.डी.।
बँटवारे से पूर्व थोड़ा व्यापार, साथ-ही-साथ मानद (ऑनरेरी) अध्यापन। बँटवारे के बाद पत्रकारिता, इप्टा नाटक मंडली में काम, बंबई में बेकारी। फिर अम्बाला में एक कॉलेज में तथा खालसा कॉलेज, अमृतसर में अध्यापन। तत्पश्चात् स्थायी रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में साहित्य का प्राध्यापन। इस बीच लगभग सात वर्ष 'विदेशी भाषा प्रकाशन गृह’, मॉस्को में अनुवादक के रूप में कार्य। अपने इस प्रवासकाल में उन्होंने रूसी भाषा का यथेष्ट अध्ययन और लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का अनुवाद किया। करीब ढाई साल 'नई कहानियाँ’ का सौजन्य-सम्पादन। प्रगतिशील लेखक संघ तथा अफ्रो-एशियाई लेखक संघ से सम्बद्ध।
Bhishm Sahni
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd