Elan Gali Jinda Hai

Author:

Chandrakanta

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9788126709014

ISBN-10 8126709014
Binding

Paperback

Number of Pages 164 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22.5 X 14.5 X 1.5

कहा गया है कि अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह काश्मीर ही है औरऐलान गली ज़िन्दा हैउपन्यास इसी स्वर्ग के हाशिये पर दरिद्रता, अज्ञान और अभावों में पल रहे लोगों की संस्कृति और जीवन-संघर्षों को बहुत अन्तरंग विवरणों के साथ उजागर करता है। जहाँ आज धर्म, जाति और भाषा के नाम पर आदमी-आदमी के बीच दीवारें खड़ी की जा रही हों, वहाँ ऐलान गली के अनवर मियाँ, दयाराम मास्टर, संसारचन्द आदि लोग हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रतीक बनकर उभरते हैं। दूसरी ओर बेरोज़गारी के अन्धकार में पल रही युवा पीढ़ी है, जो रोज़गार की तलाश में बड़े शहरों की ओर दौड़ रही है। अवतारा ऐसी ही युवा पीढ़ी का प्रतिनिधि चरित्र है, जिसे आजीविका के लिए मुम्बई जैसे महानगर में जाना पड़ता है। महानगरीय सुविधाओं और चकाचौंध के बीच वह ख़ुद को अजनबी और अस्तित्वहीन महसूस करता है, उसके ज़ेहन में ऐलान गली प्यार के समुद्र की तरह पछाड़ें मारती है। ऐलान गली के निवासियों के आपसी सम्बन्धों के विविध आयामों को इस उपन्यास में इतने विस्तार और सूक्ष्मता से चित्रित किया गया है कि एक समूचे समाज का रूप उभरकर सामने आता है। वस्तुतः अपने तमाम पिछड़ेपन के बावजूद ऐलान गली वहाँ के प्रवासियों और निवासियों के दिल-दिमाग़ में उसी तरह ज़िन्दा है, जिस तरह फूलों में सुगन्ध।

Chandrakanta

जन्म: 3 सितम्बर, 1938 में (प्रोफेसर रामचन्द्र पंडित की पुत्री; पति डॉ. एम.एल. बिशिन) श्रीनगर (कश्मीर) शिक्षा: एम.ए., बी.एड.; बी.ए. (गर्ल्स कॉलेज) एवं हिन्दी प्रभाकर (ओरियंटल कॉलेज); बी.एड. (गांधी मेमोरियल कॉलेज), श्रीनगर, कश्मीर; बी.एड. में जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान और एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज, पिलानी, राजस्थान यूनिवर्सिटी; एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्रकाशित रचनाएँ: कहानी-संग्रह - सलाख़ों के पीछे: 1975; ग़लत लोगों के बीच: 1984; पोशनूल की वापसी: 1988; दहलीज़ पर न्याय: 1989; ओ सोनकिसरी!: 1991; कोठे पर कागा: 1993; सूरज उगने तक: 1994; काली बर्फ: 1996; प्रेम कहानियाँ: 1996; चर्चित कहानियाँ: 1997; कथा नगर: 2001; बदलते हालात में: 2002; आंचलिक कहानियाँ: 2004; अब्बू ने कहा था: 2005; तैंती बाई: 2006; कथा संग्रह (‘वितस्ता दा जहर’ शीर्षक से पंजाबी भाषा में अनूदित; अनुवादकः श्री हर्षकुमार हर्ष): 2007; रात में सागर 2008। उपन्यास - बाक़ी सब ख़ैरियत है (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक: प्रवासिनी तिवारी): 1983; ऐलान गली ज़िन्दा है (अंग्रेजी भाषा में अनूदित; अनुवादक: मनीषा चौधरी): 1984; अपने-अपने कोणार्क: 1995; कथा सतीसर: 2001; अन्तिम साक्ष्य और अर्थान्तर (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक: श्रीनिवास उद्गाता): 2006; यहाँ वितस्ता बहती है: 2008। अन्य कृतियाँ - यहीं कहीं आसपास: 1999 (कविता संग्रह); मेरे भोजपत्र: 2008 (संस्मरण एवं आलेख)। सम्मान: जम्मू-कश्मीर कल्याण अकादमी; हरियाणा साहित्य अकादमी; मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार; हिन्दी अकादमी, दिल्ली; व्यास सम्मान (के.के. बिड़ला फाउंडेशन दिल्ली), चन्द्रावती शुक्ल सम्मान; कल्पना चावला सम्मान; ऋचा लेखिका रत्न; वाग्मणि सम्मान; राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान; ऑल इंडिया कश्मीरी समाज द्वारा कम्यूनिटी आइकॉन एवार्ड, आदि।
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