Pratinidhi Kahaniyan (Chandrikanta) (Pb)

Author:

Chandrakanta

,

Sundram Shandilya

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs75

Availability: Out of Stock

Out of Stock

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2020
ISBN-13

9789389598056

ISBN-10 9789389598056
Binding

Paperback

Number of Pages 160 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 110
कश्मीर के श्रीनगर में जन्मी चन्द्रकान्ता कश्मीर केन्द्रित अपने विपुल कथा-लेखन के लिए हिन्दी जगत में ख़ासी लोकप्रिय हैं। अपनी कहानियों में उन्होंने देश-विभाजन के तत्काल बाद कश्मीर संकट से उपजे हालात से लेकर 'जेहाद' के नाम पर जारी आतंकवाद से झुलसते कश्मीर की आबोहवा और अवाम के दुःख-दर्द का अद्यतन चित्र उकेरा है, जहाँ वे यथास्थिति का चित्रण-भर करके नहीं रुक जातीं अपितु प्यार, ईमान और इनसानियत से लबरेज़ पात्रों का सृजन कर कट्टरता एवं हिंसा के विरुद्ध पुरज़ोर आवाज़ उठाती हैं। कश्मीर ही नहीं, देश-दुनिया की हर उस मानवीय त्रासदी को चन्द्रकान्ता अपनी कहानियों में जगह देती हैं जिससे एक संवेदनशील रचनाकार का मन आहत एवं उद्वेलित होता है। वे उस भ्रष्ट व्यवस्था और मनुष्य विरोधी तंत्र को कठघरे में खड़ा करती हैं, जिसने तेजी से बदलते समाज में चतुर्दिक संघर्ष से घिरे मनुष्य की आन्तरिक अनुभूतियों को कहीं गहरे दफ़न कर दिया है। व्यक्ति और व्यवस्था की मुठभेड़ में वे पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रत्येक विषम परिस्थिति एवं प्रवृत्ति की समीक्षा करती हैं; तत्पश्चात् उन तथ्यों का अन्वेषण करती हैं जिससे मनुष्य की अन्तरात्मा को मरने से बचाया जा सके और इस प्रकार एक बेहतर कल के लिए मनुष्य के स्वप्नों, संवेदनाओं और स्मृतियों को सिरज लेने की चिन्ता चन्द्रकान्ता की कहानियों का प्रस्थान-बिन्दु बन जाती है।

Chandrakanta

जन्म: 3 सितम्बर, 1938 में (प्रोफेसर रामचन्द्र पंडित की पुत्री; पति डॉ. एम.एल. बिशिन) श्रीनगर (कश्मीर) शिक्षा: एम.ए., बी.एड.; बी.ए. (गर्ल्स कॉलेज) एवं हिन्दी प्रभाकर (ओरियंटल कॉलेज); बी.एड. (गांधी मेमोरियल कॉलेज), श्रीनगर, कश्मीर; बी.एड. में जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान और एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज, पिलानी, राजस्थान यूनिवर्सिटी; एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्रकाशित रचनाएँ: कहानी-संग्रह - सलाख़ों के पीछे: 1975; ग़लत लोगों के बीच: 1984; पोशनूल की वापसी: 1988; दहलीज़ पर न्याय: 1989; ओ सोनकिसरी!: 1991; कोठे पर कागा: 1993; सूरज उगने तक: 1994; काली बर्फ: 1996; प्रेम कहानियाँ: 1996; चर्चित कहानियाँ: 1997; कथा नगर: 2001; बदलते हालात में: 2002; आंचलिक कहानियाँ: 2004; अब्बू ने कहा था: 2005; तैंती बाई: 2006; कथा संग्रह (‘वितस्ता दा जहर’ शीर्षक से पंजाबी भाषा में अनूदित; अनुवादकः श्री हर्षकुमार हर्ष): 2007; रात में सागर 2008। उपन्यास - बाक़ी सब ख़ैरियत है (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक: प्रवासिनी तिवारी): 1983; ऐलान गली ज़िन्दा है (अंग्रेजी भाषा में अनूदित; अनुवादक: मनीषा चौधरी): 1984; अपने-अपने कोणार्क: 1995; कथा सतीसर: 2001; अन्तिम साक्ष्य और अर्थान्तर (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक: श्रीनिवास उद्गाता): 2006; यहाँ वितस्ता बहती है: 2008। अन्य कृतियाँ - यहीं कहीं आसपास: 1999 (कविता संग्रह); मेरे भोजपत्र: 2008 (संस्मरण एवं आलेख)। सम्मान: जम्मू-कश्मीर कल्याण अकादमी; हरियाणा साहित्य अकादमी; मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार; हिन्दी अकादमी, दिल्ली; व्यास सम्मान (के.के. बिड़ला फाउंडेशन दिल्ली), चन्द्रावती शुक्ल सम्मान; कल्पना चावला सम्मान; ऋचा लेखिका रत्न; वाग्मणि सम्मान; राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान; ऑल इंडिया कश्मीरी समाज द्वारा कम्यूनिटी आइकॉन एवार्ड, आदि।

Sundram Shandilya

No Review Found
More from Author