Publisher |
VANI PRAKSHAN |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389563771 |
ISBN-10 |
9789389563771 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
176 Pages |
Language |
(Hindi) |
राकेश तिवारी की कहानियों में क़िस्सागोई बहुत रोचक है। उस क़िस्सागोई के साथ उनकी भाषा में खिलंदड़ापन भी है। उनकी कहानियों में स्त्रियों का जो चरित्र आया है उसमें स्त्रियों का आक्रोश सामने आया है। स्त्रियों का कड़ा संघर्ष है। उनकी तेजस्विता दिखाई देती है। इसके साथ हास्यास्पद स्थितियाँ काफ़ी हैं। सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत है। गम्भीरता के बीच में वह ह्यूमर गम्भीरता को और भी तीव्र करता है। भाषा पर लेखक का अधिकार है। इतना गठा हुआ गद्य कम पढ़ने को मिलता है। -प्रो. नामवर सिंह (सबद निरन्तर, दूरदर्शन)
Rakesh Tiwari
राकेश तिवारी, रॉकी का जन्म 2 अक्टूबर, 1953 को सीतापुर जिले के बिसवाँ गाँव में हुआ। वैसे ये मूल निवासी उत्तर-प्रदेश के बस्ती जिला के हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विषय में स्नातकोत्तर के बाद मिर्जापुर के चित्रित शैलाश्रयों पर अवध विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की। लगभग चार दशक तक देश के विभिन्न भागों में पुरातात्त्विक सर्वेक्षण एवं उत्खनन तथा गंगा-घाटी को दक्षिण भारत से जोडऩेवाले प्राचीन ‘दक्षिणा-पथ’ की यात्रा एवं गहन अध्ययन का अनुभव। तद्विषयक दो सौ से अधिक शोध-पत्र, रिपोर्ट आदि प्रकाशित। महानिदेशक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पद से सेवानिवृत्त। घूमने और लिखने में सहज रुचि। कई देशों की यात्राएँ। प्रकाशन: लखनऊ से काठमांडू तक साइकिल से नेपाल की यात्रा पर आधारित यात्रा वृत्तांत ‘पहियों के इर्द-गिर्द’; दिल्ली से कलकत्ता तक की नौका-यात्रा पर आधारित यात्रा-वृत्तांत ‘सफर एक डोंगी में डगमग’; उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भू-भाग के सर्वेक्षण एवं सैर पर आधारित संस्मरण ‘पवन ऐसा डोलै’ तथा समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं में लेखन
Rakesh Tiwari
VANI PRAKSHAN