Jali Kitab

Author:

Krishna Kalpit

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788119028481

ISBN-10 8119028481
Binding

Paperback

Number of Pages 136 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 19 X 12 X 1

जाली किताबअपने ढंग का पहला और अकेला उपन्यास है। इसमें आलोचना भी है और आलोचना की आलोचना भी। हिन्दी का इतिहास भी है। भारत देश के इतिहास की छवियाँ भी इसमें हैं, लोक और शास्त्र भी।किताब पर किताब पर किताबलेखक के अनुसार, यही इस उपन्यास का कथानक है। एक महाकाव्य लिखा गया पृथ्वीराज रासो कुलीन विद्वानों ने उसे नितान्त साहित्येतर कारणों से जाली कह दिया। रासो की प्रतिष्ठा को जनमानस में अखंड रखने के लिए चंद छंद बरनन की महिमा नामक ग्रन्थ की रचना हुई जिसे खड़ी बोली गद्य की प्रथम कृति कहा जाता है। इसे भी विद्वज्जन ने जाली ठहरा दिया।इन्हीं दोनों पुस्तकों को, जो अपनी अन्तर्वस्तु, कल्पनाशील रचनात्मकता और शिल्प के चलते आज भी बची हुई हैं, उक्त आरोपों से बरी करने के लिए यह किताब लिखी गई है, जो इससे पहले कि पंडित कुछ बोलें, ख़ुद ही ख़ुद को जाली कह रही है।यह आलोचना होती, लेकिन उपन्यास हो गई। इसमें किताबें ही पात्र हैं और उन किताबों के पात्र भी यहाँ इसी के पात्र हैं। उन किताबों को लिखनेवाले भी इसके पात्र हैं, और इस किताब का लेखक ख़ुद भी।इस किताब से गुज़रना एक बेहतरीन गद्य से गुज़रना है, उपन्यास की एक नई क़िस्म को जानना भी और हिन्दी साहित्येतिहास के कुछ अहम इलाक़ों की पुनर्यात्रा भी। पाठों, विधाओं और काल की सीमाओं का अतिक्रमण करती यह किताब कृष्ण कल्पित जैसी औघड़ मेधा से ही सम्भव थी।

Krishna Kalpit

कवि-गद्यकार कृष्ण कल्पित का जन्म 30 अक्तूबर, 1957 को रेगिस्तान के एक कस्बे फतेहपुर-शेखावाटी में हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से हिन्दी साहित्य में प्रथम स्थान से एम.ए.। फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे से फ़िल्म-निर्माण पर अध्ययन। अध्यापन और पत्रकारिता के बाद भारतीय प्रसारण सेवा में प्रवेश। 2017 में दूरदर्शन महानिदेशालय से अपर महानिदेशक (नीति) पद से सेवामुक्त। प्रकाशित पुस्तकें: ‘भीड़ से गुज़रते हुए’ (1980), ‘बढ़ई का बेटा’ (1990), ‘कोई अछूता सबद’ (2003), ‘एक शराबी की सूक्तियाँ’ (2006) और ‘बाग-ए-बेदिल’ (2013) (कविता-संग्रह); हिन्दी का प्रथम काव्यशास्त्र ‘कविता-रहस्य’ (2015)। सिनेमा, मीडिया पर ‘छोटा पर्दा बड़ा पर्दा’ (2003)। मीरा नायर की बहुचर्चित फ़िल्म ‘कामसूत्र’ में भारत सरकार की ओर से सम्पर्क अधिकारी। ऋत्विक घटक के जीवन पर एक वृत्तचित्र ‘एक पेड़ की कहानी’ का निर्माण (1997)। साम्प्रदायिकता के विरुद्ध ‘भारत-भारती कविता-यात्रा’ के अखिल भारतीय संयोजक (1992)। समानान्तर साहित्य उत्सव (2018) के संस्थापक-संयोजक। अनुवाद: कविता, कहानियों के अँग्रेज़ी समेत कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद। सम्मान: ‘निरंजननाथ आचार्य सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित ।
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