Rekhte Ke Beej Aur Anya Kavitayein

Author:

Krishna Kalpit

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9789393768391

ISBN-10 9393768390
Binding

Paperback

Number of Pages 216 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14.5 X 2
हिन्दी कविता के परिदृश्य में कृष्ण कल्पित की जगह एकदम अलग और विशिष्ट है। बहैसियत कवि उन्हें जितनी चिन्ता अपने समय और समाज की है, उतने ही गम्भीर वे नागरिक परिसर में कविता के स्थान, उसकी भूमिका और व्यक्तित्व को लेकर भी बराबर रहते हैं। भाषा और भाषिक साहस के धनी ऐसे कम ही रचनाकार आज हमारे सामने हैं। बकौल देवी प्रसाद मिश्र, दुस्साहस, असहमति, आवेश, अन्वेषण, पुकार, आह, ताक़त का विरोध, शिल्प-वैविध्य, नैतिक जासूसी और बाजदफ़ा पॉलिटिकली इनकरेक्ट—इस सबने मिलकर कृष्ण कल्पित को हमारे समय का सबसे विकट काव्य-व्यक्तित्व बना दिया है।इस संग्रह में शामिल कविता रेख़्ते के बीज, अगर अन्य कविताओं को फ़िलहाल न भी देखें, तो अकेली ही उनके सामर्थ्य को रेखांकित करने के लिए काफ़ी है। शिव  किशोर तिवारी के अनुसार, आगामी समयों में 'रेख़्ते के बीज को उत्तर-आधुनिकता की प्रतिनिधि कविता के रूप में उद्धृत किया जाएगा। शंभु गुप्त का कहना है कि उनके अलावा अन्य कोई कवि इतिहास को इतने मौजूँ तरीक़े से पुनराख्यायित नहीं कर पाता जैसा उन्होंने सम्भव किया है। स्वीकृति और अस्वीकृति की पतली रेखा पर चलते हुए वे अकसर अपनी मेधा और निर्भीकता से समकालीन साहित्य-जगत को विचलित भी करते हैं, लेकिन उनकी कविता हर आपत्ति से बड़ी ही सिद्ध होती है। युवा कवि अविनाश मिश्र के शब्दों में, एक योग्य कवि की उपेक्षा उसे पराक्रमी बनाती चलती है। कृष्ण कल्पित ने शिल्प से आक्रान्त और शब्द से आडम्बर किए बग़ैर हिन्दी कविता में एक असन्तुलन पैदा किया है। उनकी कविता पूरब की कविता की नई प्रस्तावना है।'

Krishna Kalpit

कवि-गद्यकार कृष्ण कल्पित का जन्म 30 अक्तूबर, 1957 को रेगिस्तान के एक कस्बे फतेहपुर-शेखावाटी में हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से हिन्दी साहित्य में प्रथम स्थान से एम.ए.। फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे से फ़िल्म-निर्माण पर अध्ययन। अध्यापन और पत्रकारिता के बाद भारतीय प्रसारण सेवा में प्रवेश। 2017 में दूरदर्शन महानिदेशालय से अपर महानिदेशक (नीति) पद से सेवामुक्त। प्रकाशित पुस्तकें: ‘भीड़ से गुज़रते हुए’ (1980), ‘बढ़ई का बेटा’ (1990), ‘कोई अछूता सबद’ (2003), ‘एक शराबी की सूक्तियाँ’ (2006) और ‘बाग-ए-बेदिल’ (2013) (कविता-संग्रह); हिन्दी का प्रथम काव्यशास्त्र ‘कविता-रहस्य’ (2015)। सिनेमा, मीडिया पर ‘छोटा पर्दा बड़ा पर्दा’ (2003)। मीरा नायर की बहुचर्चित फ़िल्म ‘कामसूत्र’ में भारत सरकार की ओर से सम्पर्क अधिकारी। ऋत्विक घटक के जीवन पर एक वृत्तचित्र ‘एक पेड़ की कहानी’ का निर्माण (1997)। साम्प्रदायिकता के विरुद्ध ‘भारत-भारती कविता-यात्रा’ के अखिल भारतीय संयोजक (1992)। समानान्तर साहित्य उत्सव (2018) के संस्थापक-संयोजक। अनुवाद: कविता, कहानियों के अँग्रेज़ी समेत कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद। सम्मान: ‘निरंजननाथ आचार्य सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित ।
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