Jenny Meharban Singh

Author:

Krishana Sobati

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs158 Rs175 10% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2009
ISBN-13

9788126710508

ISBN-10 9788126710508
Binding

Hardcover

Number of Pages 126 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 281
जैनी मेहरबान सिंह भारतीय मूल के प्रवासी मेहरबान सिंह और उनकी पत्नी लिज़ा की इकलौती सन्तान सुनहरी बालों वाली जैनी पूर्व और पश्चिम, देश और विदेश के दोरंगी सम्मिश्रण की अनोखी तस्वीर है। चुलबुली मनमौजी, समझदार और गम्भीर एक साथ। जैनी मेहरबान सिंह ज़िन्दगी के रोमांस, उत्साह, उमंग और उजास की पटकथा है जिसे कृष्णा सोबती ने गुनगुनी सादगी से प्रस्तुत किया है। वैन्कूवर से दूर पिछवाड़े से झाँकते हैं एक दूसरे के वैरी दो गाँव पट्टीवाल और अट्टारीवाल। एक दूसरे को तरेरते दो कुनबों के बीच पड़ी गहरी दरारें, जान लेने वाली दुश्मनियाँ और मरने मारने की कसमें! ऐसे में मेहरबान सिंह और साहब कौर की अल्हड़ मुहब्बत कैसे परवान चढ़ती ! मेहरबान सिंह ने अपनी मुहब्बत की ख़ातिर जान बख्श देने की दोस्ती निभाई और गाँव को पीठ दे कैनेडा जा बसे। नए मुल्क में नई जिन्दगी चल निकली। लिज़ा को खूब तो प्यार दिया, जैनी को भरपूर लाड़-चाव फिर भी दिल से लगी साहिब कौर की छवि मद्धम न पड़ी - इसके बाद की चलचित्री कहानी क्या मोड़ लेती है - पढ़कर देखिए जैनी मेहरबान सिंह।

Krishana Sobati

कृष्णा सोबती ने अपनी लम्बी साहित्यिक यात्रा में हर नई कृति के साथ अपनी क्षमताओं का अतिक्रमण किया है। ‘निकष’ में विशेष कृति के रूप में प्रकाशित ‘डार से बिछुड़ी’ से लेकर ‘मित्रो मरजानी’, ‘यारों के यार’, ‘तिन पहाड़’, ‘बादलों के घेरे’, ‘सूरजमुखी अँधेरे के’, ‘ज़िन्दगीनामा’, ‘ऐ लड़की’, ‘दिलो-दानिश’, ‘हम हशमत’, ‘समय सरगम’, ‘शब्दों के आलोक में’, ‘जैनी मेहरबान सिंह’, ‘सोबती-वैद संवाद’, और ‘लद्दाख: बुद्ध का कमंडल’ तक उनकी रचनात्मकता ने जो बौद्धिक उत्तेजना, आलोचनात्मक विमर्श, सामाजिक और नैतिक बहसें साहित्य-संसार में पैदा की हैं, उनकी अनुगूँज पाठकों में बराबर बनी रही है।
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