Narvanar (Hindi)

Author:

Sharankumar Limbale

,

Nishikant Thakar

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2021
ISBN-13

9788183612234

ISBN-10 8183612237
Binding

Paperback

Edition 2nd
Number of Pages 172 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22.5X14.5X1.5
Weight (grms) 189

‘नरवानर’ 1956 से 1996 तक के समय पर आधारित यह उपन्यास दरअसल आत्मचिन्तन है। दलित-विमर्श के संवेदनशील विस्फोटक सन्दर्भ का एक साहित्यिक विश्लेषण। लेखक के अनुसार इस आत्मचिंतन या विश्लेषण के मूल में हैं कुछ स्मृतियाँ, कुछ बहसें, कुछ समाचार, कुछ साहित्य-पाठ, समाज की गतिविधियाँ और उनसे उत्पन्न प्रतिक्रियाएँ, बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार और व्यभिचार की ओर उन्मुख दैनंदिन नैतिकता, दंगे और हिंसा, राजनीति का अपराधीकरण, अपराधियों को प्राप्त प्रतिष्ठा, राष्ट्रीय नेतृत्व का भ्रष्टाचार, बढ़ती हुई बेरोज़गारी, महँगाई, ग़रीबी और आबादी। लेकिन मराठी में ‘उपल्या’ नाम से प्रकाशित और चर्चित इस उपन्यास की केन्द्रीय चिन्ता समकालीन दलित आन्दोलन है। पहले अध्याय में एक सनातनी ब्राह्मण परिवार के दलितीकरण का चित्रण है तो तीसरे अध्याय में एक ब्राह्मण परिवार की ही बेटी एक दलित से विवाह करके नया जीवन शुरू करती है। बाकी दो अध्यायों में दलित आन्दोलन के उभार, संघर्ष और विखंडन पर दृष्टिपात किया गया है। कहना न होगा कि हिन्दी और मराठी में समान रूप से लोकप्रिय लेखक शरणकुमार लिंबाले का यह उपन्यास समकालीन दलित विमर्श के सन्दर्भ में एक ज़रूरी पुस्तक है।

Sharankumar Limbale

Nishikant Thakar

निशिकान्त ठकार,जन्म : 11 जून, 1935; पंढरपुर। शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, संस्कृत, मराठी; फ़िल्म एप्रिसिएशन कोर्स, फ़ि‍ल्म एंड टेलीविज़न संस्थान, पुणे। प्रमुख कृतियाँ : मराठी भाषा में कई पुस्तकें प्रकाशित। हिन्दी में ‘अक्करमाशी’ (आत्मकथा); ‘देवता आदमी’ (कहानी-संग्रह); ‘दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र’ (समीक्षा) प्रकाशित। सम्प्रति : यशवन्त राव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी, नासिक में रीडर।
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