Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2019 |
ISBN-13 |
9788193969205 |
ISBN-10 |
9788193969205 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
331 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
420 |
प्रख्यात बँगला कथाकार विमल मित्र का यह उपन्यास एक ऐसे आदर्शवादी युवक की कहानी है, जो अपने जीवन में कुछ महान कार्य कर दिखाने की आकांक्षा रखता है, लेकिन कई अप्रत्याशित घटनाएँ उसे कुछ और ही बना देती हैं, जिसकी खुद उसने या किसी ने भी कल्पना नहीं की थी । घटनाचक्र में पड़कर वह कई मोड़ों से गुजरता है, और अंत में जब वह इच्छित पथ पा लेता है तो उसे बोध होता है कि जीवन की वास्तविकता क्या है । इस क्रम में उसे जीवन के अनेक रूप देखने को मिलते हैं तथा बहुत-कुछ बलिदान भी करना पड़ता है । विकृतियों का चरम भोग भोगते हुए उसने कीचड़ में कमल की तरह खिलते सुकृतियों के स्वरूप भी देखे । पात्र और घटनाएँ उपन्यास में इस तरह गुँथे हुए हैं कि सहसा यह कह पाना मुश्किल होगा कि इस उपन्यास की कथावस्तु चरित्र द्वारा अनुशासित है अथवा घटनाओं द्वारा । एक की जीवंतता और दूसरे की सहजता ने कथा को लयात्मक गति व विस्तारु दिया है । परस्त्री की एक विशेषता यह भी है कि इसकी कथा समकालीन सामाजिक जीवन की पृष्ठभूमि में आगे बढ़ती है । यह व्यक्ति के अंतर्मन के रहस्यों को नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन के यथार्थ को उजागर करती हे । सिर से पाँव तक भ्रष्टाचार में डूबे व्यवस्था-तंत्र और उससे त्राण पाने के लिए छटपटाते सामान्य जन की वेदना का अत्यंत सजीव चित्रण इस उपन्यास में हुआ है ।.
Bimal Mitra
बंगला के सुपरिचित कथाकार। जन्म: 18 मार्च 1912 को कलकत्ता में। शिक्षा: कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए.। व्यवसाय: मुख्यतः लेखन। अब तक अनेक कहानियाँ और उपन्यास लिख चुके हैं। बंगलाभाषी समाज के अलावा हिंदी व तमिल समाज में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं। उल्लेखनीय कृतियाँ: उपन्यास: अन्यरूप, साहब बीबी गुलाम, मैं राजाबदल, परस्त्री, इकाई दहाई सैकड़ा, खरीदी कौड़ियों के मोल, मुजरिम हाजिर, पति परम गुरु, बेगम मेरी विश्वास, चलो कलकत्ता आदि। कुल लगभग 70 उपन्यासों की रचना। कहानी-संगह: पुतुल दीदी, रानी साहिबा। रेखा-चित्र: कन्यापक्ष। निधन: 2 दिसम्बर, 1991
Bimal Mitra
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