Pratinidhi Kahaniyan

Author:

Kashinath Singh

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs166 Rs195 15% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2012
ISBN-13

9788126722266

ISBN-10 9788126722266
Binding

Hardcover

Number of Pages 151 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 1000
साठोत्तरी पीढ़ी के जिन प्रगतिशील कथाकारों ने हिंदी कहानी को नई जमीन सौंपने का काम किया, काशीनाथ सिंह का नाम उनमे विशेष महत्त्व रखता है ! इस संग्रह में उनकी बहुचर्चित कहानियों शामिल की गई हैं ! ध्वस्त होते पुराने समाज, व्यक्ति-मूल्यों तथा नई आकांक्षाओं के बीच जिस अर्थद्वन्द को जन-सामान्य झेल रहा है, उसकी टकराहटों से उपजी, भयावह अन्तःसंघर्ष को रेखांकित करती हुई ये कहानियों पाठक को सहज ही अपनी-सी लगने लगती हैं ! इनमे हम वर्तमान राजनितिक ढाँचे के तहत पनप रही मूल्य-भ्रशंता को भी देखते है और जीवन-मूल्यों की पतनशील त्रासदी को भी महसूस करते हैं ! समकालीन यथार्थ की गहरी पकड़, भाषा-शैली की सहजता और एक खास किस्म का व्यग्य इस सन्दर्भ में पाठक की भरपूर मदद करता है ! वह एक प्रगतिशील मूल्य-दृष्टि को अपने भीतर खुलते हुए पाटा है, क्योंकि काशीनाथ सिंह के कथा-चरित्र विभिन्न विरोधी जीवन-स्थिरियों में पड़कर स्वयं अपना-अपना अंतःसंघर्ष उजागर करते चलते हैं और इस प्रक्रिया में लेखकीय सोच की दिशा सहज ही पाठकीय सोच से एकमेक हो उठती है !

Kashinath Singh

काशीनाथ सिंह जन्म: 1 जनवरी, 1937, बनारस जिले के जीयनपुर गाँव में । शिक्षा: आरम्भिक शिक्षा गाँव के पास के विद्यालयों में। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. (1959) और पीएच.डी. (1963)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। पहली कहानी ‘संकट’ कृति पत्रिका (सितम्बर, 1960) में प्रकाशित। कृतियाँ: लोग बिस्तरों पर, सुबह का डर, आदमीनामा, नई तारीख, सदी का सबसे बड़ा आदमी, कल की फटेहाल कहानियाँ, कहानी उपख्यान, प्रतिनिधि कहानियाँ, दस प्रतिनिधि कहानियाँ (कहानी-संग्रह); घोआस (नाटक); हिन्दी में संयुक्त क्रियाएँ (शोध); आलोचना भी रचना है (समीक्षा); काशी का अस्सी, रेहन पर रग्घू, महुआचरित, उपसंहार (उपन्यास); याद हो कि न याद हो, आछे दिन पाछे गए, घर का जोगी जोगड़ा (संस्मरण); गपोड़ी से गपशप (साक्षात्कार)। अपना मोर्चा का जापानी एवं कोरियाई भाषाओं में अनुवाद। जापानी में कहानियों का अनूदित संग्रह। कई कहानियों के भारतीय और अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद। उपन्यास और कहानियों की रंग-प्रस्तुतियाँ। ‘तीसरी दुनिया’ के लेखकों-संस्कृतिकर्मियों के सम्मेलन के सिलसिले में जापान-यात्रा (नवम्बर, 1981)। सम्मान: भारत भारती पुरस्कार, कैफी आज़मी अवार्ड, कथा सम्मान, समुच्चय सम्मान, शरद जोशी सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और ‘रेहन पर रग्घू’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार, रचना समग्र पुरस्कार आदि। सम्प्रति: बनारस में रहकर स्वतंत्र लेखन।.
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