Literature and art has been an important part of the Indian culture. India boasts great mythological epics and classic literary works. Hindi, the national language of India, has seen some classic writers and novelists such as Munshi Premchand.
Kashinath Singh is one such famous Hindi writer who has written much about the famous city, Varanasi, which is situated on the banks of river Ganges. Most of his literary work is related to this beautiful holy city, and therefore he has been credited to be the best chronicler of this holy city of Kashi Vishwanath.
Kashinath Singh
काशीनाथ सिंह जन्म: 1 जनवरी, 1937, बनारस जिले के जीयनपुर गाँव में । शिक्षा: आरम्भिक शिक्षा गाँव के पास के विद्यालयों में। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. (1959) और पीएच.डी. (1963)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। पहली कहानी ‘संकट’ कृति पत्रिका (सितम्बर, 1960) में प्रकाशित। कृतियाँ: लोग बिस्तरों पर, सुबह का डर, आदमीनामा, नई तारीख, सदी का सबसे बड़ा आदमी, कल की फटेहाल कहानियाँ, कहानी उपख्यान, प्रतिनिधि कहानियाँ, दस प्रतिनिधि कहानियाँ (कहानी-संग्रह); घोआस (नाटक); हिन्दी में संयुक्त क्रियाएँ (शोध); आलोचना भी रचना है (समीक्षा); काशी का अस्सी, रेहन पर रग्घू, महुआचरित, उपसंहार (उपन्यास); याद हो कि न याद हो, आछे दिन पाछे गए, घर का जोगी जोगड़ा (संस्मरण); गपोड़ी से गपशप (साक्षात्कार)। अपना मोर्चा का जापानी एवं कोरियाई भाषाओं में अनुवाद। जापानी में कहानियों का अनूदित संग्रह। कई कहानियों के भारतीय और अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद। उपन्यास और कहानियों की रंग-प्रस्तुतियाँ। ‘तीसरी दुनिया’ के लेखकों-संस्कृतिकर्मियों के सम्मेलन के सिलसिले में जापान-यात्रा (नवम्बर, 1981)। सम्मान: भारत भारती पुरस्कार, कैफी आज़मी अवार्ड, कथा सम्मान, समुच्चय सम्मान, शरद जोशी सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और ‘रेहन पर रग्घू’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार, रचना समग्र पुरस्कार आदि। सम्प्रति: बनारस में रहकर स्वतंत्र लेखन।.
Kashinath Singh
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