Pratinidhi Kavitayen (Tri)

Author :

Trilochan

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2017
ISBN-13

9788126702565

ISBN-10 8126702567
Binding

Paperback

Number of Pages 89 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 70

त्रिलोचन का काव्य-व्यक्तित्व लगभग पचास वर्षों के लम्बे काल-विस्तार में फैला हुआ है। परन्तु यह तथ्य कि वे हमारे समय के एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कवि हैं—लगभग एक अद्वितीय कवि—अभी पिछले कुछ वर्षों में उभर-कर सामने आया है और उनके प्रत्येक नए काव्य-संकलन के साथ और गहरा तथा और पुष्ट होता गया है। त्रिलोचन एक विषम धरातल वाले कवि हैं। साथ ही उनके रचनात्मक व्यक्तित्व में एक विचित्र विरोधाभास भी दिखाई पड़ता है। एक ओर यदि उनके यहाँ गाँव की धरती का-सा ऊबड़खाबड़पन दिखाई पड़ेगा तो दूसरी ओर कला की दृष्टि से एक अद्भुत क्लासिकी कसाव या अनुशासन भी। त्रिलोचन की सहज-सरल-सी प्रतीत होने वाली कविताओं को भी यदि ध्यान से देखा जाए तो उनकी तह में अनुभव की कई परते खुलती दिखाई पड़ेंगी। त्रिलोचन के यहाँ आत्मपरक कविताओं की संख्या बहुत अधिक है। अपने बारे में हिन्दी के शायद ही किसी कवि ने इतने रंगों में और इतनी कविताएँ लिखी हों। पर त्रिलोचन की आत्मपरक कविताएँ किसी भी स्तर पर आत्मग्रस्त कविताएँ नहीं हैं और यह उनकी गहरी यथार्थ-दृष्टि और कलात्मक क्षमता का सबसे बड़ा प्रमाण है। भाषा के प्रति त्रिलोचन एक बेहद सजग कवि हैं। त्रिलोचन की कविता में बोली के अपरिचित शब्द जितनी सहजता से आते हैं, कई बार संस्कृत के कठिन और लगभग प्रवाहच्युत शब्द भी उतनी ही सहजता से कविता में प्रवेश करते हैं और चुपचाप अपनी जगह बना लेते हैं।

Trilochan

जन्म-स्थान : गाँव कटघरापट्टी-चिरानीपट्टी, जिला सुल्तानपुर (उ.प्र.)। शिक्षा : अरबी-फारसी शिक्षा, साहित्य रत्न, शास्त्री, अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. (पूर्वार्द्ध) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। हिन्दी के वरिष्ठतम कवियों में से एक। जीविका के लिए बरसों पत्रकारिता और अध्यापन-कार्य। हंस, कहानी, वानर, प्रदीप, चित्ररेखा, आज, समाज और जनवार्ता आदि पत्रिकाओं में सम्पादन-कार्य। 1952-53 में गणेशराय नेशनल इंटर कॉलेज, जौनपुर में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे। 1967-72 के दौरान वाराणसी में विदेशी छात्रों को हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की। उर्दू विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की द्वैभाषिक कोश (उर्दू-हिन्दी) परियोजना में कार्य (1978-84)। मुक्तिबोध सृजनपीठ, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) के अध्यक्ष रहे। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित—जिनमें प्रमुख हैं: साहित्य अकादेमी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान सम्मान-पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान (म.प्र.), हिन्दी अकादमी (दिल्ली) का शलाका सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का भवानीप्रसाद मिश्र राष्ट्रीय पुरस्कार, सुलभ साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता) सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का महात्मा गांधी सम्मान। प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह : 'धरती’ (1945), 'गुलाब और बुलबुल’ (1956), 'दिगंत’ (1957), 'ताप के ताए हुए दिन’ (1980), 'शब्द’ (1980), 'उस जनपद का कवि हूँ’ (1981), 'अरघान’ (1984), 'तुम्हें सौंपता हूँ’ (1985), 'अनकहनी भी कुछ कहनी है’ (1985), 'फूल नाम है एक’ (1985), 'सबका अपना आकाश’ (1987), 'चैती’ (1987), 'अमोला’ (1990), 'मेरा घर’ (2002), 'जीने की कला’ (2004)। कहानी संग्रह : 'देशकाल’ (1986); डायरी: 'रोजनामचा’ (1992), आलोचना: 'काव्य और अर्थबोध’ (1995); सम्पादन: 'मुक्तिबोध की कविताएँ’ (1991)। अन्य : 'प्रतिनिधि कविताएँ’ (1985) सं. केदारनाथ सिंह; 'साक्षात् त्रिलोचन’ (1990) लम्बी बातचीत—दिविक रमेश/कमलाकान्त द्विवेदी; 'त्रिलोचन के बारे में (1994) सं. गोविन्द प्रसाद; 'त्रिलोचन संचयिता’ (2002) सं. ध्रुव शुक्ल; 'मेरे साक्षात्कार’ (2004) बातचीत—सं. श्याम सुशील; 'बात मेरी कविता’ (2009) त्रिलोचन की चुनी हुई अपनी कविताएँ।
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