Trilochan Rachanawali Vol. 1-4

Author :

Trilochan

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9789395737999

ISBN-10 9395737999
Binding

Hardcover

Number of Pages 1624 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14.5 X 11.5

जनसाधारण की दुख-प्रसूत स्थानिक संवेदना को कविता में ढालकर मनुष्यता की सार्वभौ​मिक चेतना से जोड़ने वाले, शास्त्र की सटीकता और जनजीवन के नित नवीन अनुभवों को कई-कई छन्दों में अंकित करनेवाले विद्वान कवि त्रिलोचन हिन्दी के विराट कविता-लोक में अपनी तरह के अनूठे हस्ताक्षर हैं।


कई भाषाओं के ज्ञाता, संस्कृत के ​विद्वान और प्रगतिशील चेतना से सम्पन्न कवि ​त्रिलोचन ने रोला और बरवै जैसे प्राचीन छन्दों को भी साधा, गीत-ग़ज़ल भी लिखे और 'सॉनेट' जैसे विदेशी छन्द को ​हिन्दी का अपना बना दिया। मुक्त-छन्द भी लिखा और 'गद्य-वद्य' लिखते हुए आलोचना को भी एक आत्मीय रंग ​दिया।


यह ​त्रिलोचन की रचनावली है, ​जिसकी ज़रूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। ​त्रिलोचन महज़ एक कवि नहीं, कविता के ​विद्यालय थे; मौज़ूदा और आनेवाले रचनाकार उनसे हमेशा ही सीख सकते हैं। प्रस्तुत रचनावली में ​त्रिलोचन का सम्पूर्ण संकलित है।


कविताओं के साथ-साथ ​​त्रिलोचन ने आलोचनात्मक गद्य भी लिखा। इस खंड में उनके द्वारा लिखित आलोचनात्मक लेखों, समीक्षाओं आदि को लिया गया है। कविता हो या गद्य उन्होंने बोलचाल की भाषा को ही प्राथमिकता दी। यह इन आलेखों से भी ज़ाहिर होता है। कुछ अप्रकाशित लेख भी यहाँ प्रस्तुत हैं। साथ में उनकी दैनन्दिनी भी।

Trilochan

जन्म-स्थान : गाँव कटघरापट्टी-चिरानीपट्टी, जिला सुल्तानपुर (उ.प्र.)। शिक्षा : अरबी-फारसी शिक्षा, साहित्य रत्न, शास्त्री, अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. (पूर्वार्द्ध) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। हिन्दी के वरिष्ठतम कवियों में से एक। जीविका के लिए बरसों पत्रकारिता और अध्यापन-कार्य। हंस, कहानी, वानर, प्रदीप, चित्ररेखा, आज, समाज और जनवार्ता आदि पत्रिकाओं में सम्पादन-कार्य। 1952-53 में गणेशराय नेशनल इंटर कॉलेज, जौनपुर में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे। 1967-72 के दौरान वाराणसी में विदेशी छात्रों को हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की। उर्दू विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की द्वैभाषिक कोश (उर्दू-हिन्दी) परियोजना में कार्य (1978-84)। मुक्तिबोध सृजनपीठ, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) के अध्यक्ष रहे। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित—जिनमें प्रमुख हैं: साहित्य अकादेमी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान सम्मान-पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान (म.प्र.), हिन्दी अकादमी (दिल्ली) का शलाका सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का भवानीप्रसाद मिश्र राष्ट्रीय पुरस्कार, सुलभ साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता) सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का महात्मा गांधी सम्मान। प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह : 'धरती’ (1945), 'गुलाब और बुलबुल’ (1956), 'दिगंत’ (1957), 'ताप के ताए हुए दिन’ (1980), 'शब्द’ (1980), 'उस जनपद का कवि हूँ’ (1981), 'अरघान’ (1984), 'तुम्हें सौंपता हूँ’ (1985), 'अनकहनी भी कुछ कहनी है’ (1985), 'फूल नाम है एक’ (1985), 'सबका अपना आकाश’ (1987), 'चैती’ (1987), 'अमोला’ (1990), 'मेरा घर’ (2002), 'जीने की कला’ (2004)। कहानी संग्रह : 'देशकाल’ (1986); डायरी: 'रोजनामचा’ (1992), आलोचना: 'काव्य और अर्थबोध’ (1995); सम्पादन: 'मुक्तिबोध की कविताएँ’ (1991)। अन्य : 'प्रतिनिधि कविताएँ’ (1985) सं. केदारनाथ सिंह; 'साक्षात् त्रिलोचन’ (1990) लम्बी बातचीत—दिविक रमेश/कमलाकान्त द्विवेदी; 'त्रिलोचन के बारे में (1994) सं. गोविन्द प्रसाद; 'त्रिलोचन संचयिता’ (2002) सं. ध्रुव शुक्ल; 'मेरे साक्षात्कार’ (2004) बातचीत—सं. श्याम सुशील; 'बात मेरी कविता’ (2009) त्रिलोचन की चुनी हुई अपनी कविताएँ।
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