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Publisher | RAJPAL AND SONS |
Publication Year | 2018 |
ISBN-13 | 9789386534453 |
ISBN-10 | 9386534452 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 464 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 20 X 14 X 2 |
Weight (grms) | 586 |
‘‘अशोक कुमार पाण्डेय की ‘कश्मीरनामा’ हिन्दी में कश्मीर के इतिहास पर एक पथप्रदर्शक किताब है। यह किताब घाटी के उस राजनैतिक इतिहास की उनकी स्पष्ट समझ प्रदर्शित करती है जिसने इसे वैसा बनाया, जैसी यह आज है।’’-शहनाज बशीर, युवा कश्मीरी उपन्यासकार ‘‘ ‘कश्मीरनामा’ पढ़कर इस बात का सुखद अनुभव होता है कि इसे एक-एक ऐतिहासिक घटना को बड़े एहतियात के साथ, छेड़े बिना, किसी भी प्रकार के पूर्वग्रह से मुक्त होकर लिखा गया है। मुझे उम्मीद है ‘कश्मीरनामा’ को कश्मीर में रुचि रखने वाले पाठक, शोधकर्ता और शिक्षक कश्मीर के इतिहास की पुस्तकों में एक दिग्दर्शन-पुस्तक के रूप में लेंगे।’’-डॉ. निदा नवाज, प्रख्यात कश्मीरी कवि तथा लेखक ‘‘कश्मीर के अतीत और वर्तमान की समझ को लेकर हमारे चारों ओर जो खौफनाक चुप्पी पसरी है उसे तोड़ने की कोशिश करती इस पथप्रदर्शक किताब के महत्व को कम करके नहीं आँका जा सकता। चूँकि कश्मीर हर हिंदुस्तानी की जबान पर मौजूद रहता है, थोड़ी असहजता के साथ ही सही, ऐसी दर्जनों किताबें पहले ही हिन्दी पाठकों के सम्मुख होनी चाहिए थीं। अब इस तरह के कदमों से कश्मीर को अखबारों और टेलीविजन की सुर्खियों के शिकंजे से बचाया जा सकता है, और ये एक शुरुआती संवाद का रूप भी ले सकते हैं जिससे लोग यह विचार कर सकें कि कश्मीर से भारत को आखिर क्या मिला है। और भारत ने कश्मीर में क्या किया है।’’ -संजय काक, जाने माने फिल्मकार और लेखक अशोक कुमार पाण्डेय एक चर्चित कवि और विचारक हैं जो सामार्थिक विषयों पर गहन शोध के लिए जाने जाते हैं। उनसे ashokk34@g पर सम्पर्क किया जा सकता है।
Ashok Kumar Pandey
RAJPAL AND SONS