Dastanbu (Hindi)

Author:

Mirza Ghalib

,

Abdul Bismillah

,

Saiyad Athar Abbas Rizvi

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788119028832

ISBN-10 811902883X
Binding

Paperback

Edition 2nd
Number of Pages 103 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21.5X14.5X1.5
Weight (grms) 122

मिर्ज़ा असद-उल्लाह ख़ाँ ग़ालिब का नाम भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के महान कवियों में शामिल है! मिर्ज़ा ग़ालिब ने 1857 के आन्दोलन के सम्बन्ध में अपनी जो रूदाद लिखी है, उससे उनकी राजनीतिक विचारधारा और भारत में अंग्रेज़ी राज के सम्बन्ध में उनके दृष्टिकोण को समझने में काफ़ी मदद मिल सकती है! अपनी यह रूदाद उन्होंने लगभग डायरी की शक्ल में प्रस्तुत की है। और फ़ारसी भाषा में लिखी गई इस छोटी-सी पुस्तिका का नाम है—‘दस्तंबू’। फ़ारसी भाषा में 'दस्तंबू' शब्द का अर्थ है पुष्पगुच्छ, अर्थात् बुके (Bouquet)। अपनी इस छोटी-सी किताब 'दस्तंबू' में ग़ालिब ने 11 मई, 1857 से 31 जुलाई, 1857 तक की हलचलों का कवित्वमय वर्णन किया है ,'दस्तंबू' में ऐसे अनेक चित्र हैं जो अनायास ही पाठक के मर्म को छू लेते हैं। किताब के बीच-बीच में उन्होंने जो कविताई की है, उसके अतिरिक्त गद्य में भी कविता का पूरा स्वाद महसूस होता है। जगह-जगह बेबसी और अन्तर्द्वन्द्व की अनोखी अभिव्यक्तियाँ भरी हुई हैं। इस तरह 'दस्तंबू' में न केवल 1857 की हलचलों का वर्णन है, बल्कि ग़ालिब के निजी जीवन की वेदना भी भरी हुई है।‘दस्तंबू’ के प्रकाशन को लेकर ग़ालिब ने अनेक लम्बे-लम्बे पत्र मुंशी हरगोपाल ‘तफ़्त:’ को लिखे हैं। अध्येताओं की सुविधा के लिए सारे पत्र पुस्तक के अन्त में दिए गए हैं। भारत की पहली जनक्रान्ति, उससे उत्पन्न परिस्थितियाँ और ग़ालिब की मनोवेदना को समझने के लिए ‘दस्तंबू’ एक ज़रूरी किताब है। इसे पढ़ने का मतलब है सन् 1857 को अपनी आँखों से देखना और अपने लोकप्रिय शाइर की संवेदनाओं से साक्षात्कार करना।—भूमिका से

Mirza Ghalib

जन्म : 27 दिसम्बर, 1797; आगरा। नाम : मिर्ज़ा असदुल्लाह ख़ाँ। उपनाम : मिर्ज़ा नौश:। कविनाम : ‘असद’ और ‘ग़ालिब’। पदवियाँ : नज्मद्दौल:, दबीरुलमुल्क। मज़ार : लोहारू वंश क़ब्रिस्तान, सुल्तानजी, चौंसठ खम्बा, निज़ामुद्दीन, दिल्ली। निधन : 15 फरवरी, 1869; दिल्ली।

Abdul Bismillah

अब्दुल बिस्मिल्लाह जन्म: 5 जुलाई, 1949 को इलाहाबाद जिले के बलापुर गाँव में। शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. तथा डी.फिल्.। 1993-95 के दौरान वार्सा यूनिवर्सिटी, वार्सा (पोलैंड) में तथा 2003-05 के दौरान भारतीय दूतावास, मॉस्को (रूस) के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र में विजि़टिंग प्रोफ़ेसर रहे। 1988 में सोवियत संघ की यात्रा। उसी वर्ष ट्यूनीशिया में सम्पन्न अफ्रो-एशियाई लेखक सम्मेलन में शिरकत। पोलैंड में रहते हुए हंगरी, जर्मनी, प्राग और पेरिस की यात्राएँ। 2002 में म्यूनि$ख (जर्मनी) में आयोजित 'इंटरनेशनल बुक वीक' कार्यक्रम में हिस्सेदारी। 2012 में जोहांसबर्ग में आयोजित विश्व-हिन्दी सम्मेलन में शिरकत। कृतियाँ: अपवित्र आख्यान, झीनी झीनी बीनी चदरिया, मुखड़ा क्या देखे, समर शेष है, ज़हरबाद, दंतकथा, रावी लिखता है (उपन्यास), अतिथि देवो भव, रैन बसेरा, रफ़ रफ़ मेल, शादी का जोकर (कहानी-संग्रह), वली मुहम्मद और करीमन बी की कविताएँ, छोटे बुतों का बयान (कविता-संग्रह), दो पैसे की जन्नत (नाटक), अल्पविराम, कजरी, विमर्श के आयाम (आलोचना), दस्तंबू (अनुवाद) आदि। झीनी झीनी बीनी चदरिया के उर्दू तथा अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। अनेक कहानियाँ मराठी, पंजाबी, मलयालम, तेलगू, बांग्ला, उर्दू, जापानी, स्पैनिश, रूसी तथा अंग्रेज़ी में अनूदित। रावी लिखता है उपन्यास पंजाबी में पुस्तकाकार प्रकाशित। रफ़ रफ़ मेल की 12 कहानियाँ रफ़ रफ़ एक्सप्रेस शीर्षक से फ्रेंच में अनूदित एवं पेरिस से प्रकाशित। सम्मान: सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, दिल्ली हिन्दी अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और म.प्र. साहित्य परिषद के देव पुरस्कार से सम्मानित। सम्प्रति: केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर।.

Saiyad Athar Abbas Rizvi

विख्यात इतिहासविद्, सम्पादक, अनुवादक। जन्म: 1921 कृतियाँ: ‘मुस्लिम रिवाइवलिस्ट मूवमेंट्स इन नार्दर्न इंडिया इन द सिक्सटींथ एंड सेवेंटींथ सेंचुरीज़’ (1965), ‘इंटेलेक्चुअल हिस्ट्री ऑफ अकबर्स रेन’ (1971), ‘ए हिस्ट्री ऑफ सूफ़ीज्म इन इंडिया’ (दो खंड, 1978 व 1988), ‘शाह वली अल्लाह एंड हिज टाइम्स’ (1980), ‘शाह अब्दुल अज़ीज़’ (1982), ‘सोशियो-इंटेलेक्चुअल हिस्ट्री ऑफ द इश्ना अश्री शियाज इन इंडिया’ (दो खंड, 1986)। अनूदित कृतियाँ: ‘मुक़द्दिमा’ (1961), ‘फतेहपुर सीकरी’ (वी.जे.ए. फ्लीन के साथ, 1975), ‘ईरान: रॉयल्टी, रिलीजन एंड रिवोल्यूशन’ (1980), ‘द वंडर दैट वाज इंडिया’ (दो खंड, 1987)। विभिन्न पत्रिकाओं व जर्नल्स में आलेख। निधन: 3 सितम्बर, 1994.
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