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Publisher | RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year | 2023 |
ISBN-13 | 9788119092413 |
ISBN-10 | 8119092414 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 116 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 21 X 13.5 X 1.5 |
गाय-गेका की औरतें अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी बाशिन्दों की संस्मृतियों की पुस्तक है। जोराम यालाम नाबाम ने इस पुस्तक में न्यीशी समुदाय के सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन, उनके सामूहिक विश्वासों, धार्मिक-आध्यात्मिक मान्यताओं, रस्म-रिवाज, तीज-त्योहार तथा आर्थिक क्रिया-कलाप आदि का बहुत सूक्ष्मता से वर्णन किया है। यहाँ यह उल्लेख करना अनुचित न होगा कि यालाम स्वयं न्यीशी समुदाय से आती हैं जो अरुणाचल प्रदेश के बहुसंख्यक तानी आदिवासी समाज के अन्तर्गत आनेवाले पाँच समुदायों—आदी, आपातानी, तागिन और गालो—में शामिल है। इन संस्मरणों में जो कुछ दर्ज किया गया है, वह निरे ‘आब्ज़र्वेशन’ का नहीं, बल्कि आत्मीय संलग्नता का भी प्रतिफल है। पुस्तक का जोर न्यीशी समुदाय के रोजमर्रा के जीवन को रेखांकित करने पर है जिससे शेष भारतीय समाज किंचित अपरिचित अथवा बहुत कम परिचित है। ये संस्मरण कथात्मक अन्दाज में लिखे गए हैं, इसलिए सम्मिलित रूप से ये एक औपन्यासिक आस्वाद पैदा करते हैं। हालाँकि यह कोई उपन्यास नहीं है। वैसे यह समाजशास्त्र या नृतत्वशास्त्र की पुस्तक भी नहीं है, लेकिन इसमें जो कुछ लिखा गया है वह विषय और विधा के प्रश्नों को पीछे छोड़ते हुए पाठक को एक ऐसे समुदाय के बीच ले जाता है जो निरन्तर गतिशील संस्कृति का वाहक तथा ‘विविधता में एकता’ के सूत्र से निर्मित भारतीयता का एक अपरिहार्य अवयव है।
Joram Yalam Nabam
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD