Sakshi Hai Peepal (Hindi)

Author :

Joram Yalam Nabam

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788119092406

ISBN-10 8119092406
Binding

Paperback

Edition 1st
Number of Pages 128 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21X13.5X1.5
Weight (grms) 138

साक्षी है पीपल की कहानियाँ बिना किसी लाग-लपेट या दाब-ढाँक के जीवन के यथार्थ और त्रासदियों को अभिव्यक्त करती हैं। किसी में पापुमपारे नदी क्षेत्र का वातावरण है, किसी में जोराम गाँव, किसी में जीरो नामक जगह। ​स्त्रियाँ सभी कहानियों के केन्द्र में हैं। भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ निभाती हुई, सबसे बड़ी पत्नी के रूप में भारी-भरकम जिम्मेदारी उठाती हुई, अपनी मर्जी दर्शाते हुए पति की एक के बाद एक शादियाँ करवाती हुई, दोनों वक़्त भोजन पकाती हुई, खेत-जंगल में हाड़तोड़ काम करती हुई, समूह-उत्सव में स्थानीय दारू का प्रबन्ध करती हुई, बार-बार छली जाकर टूटती हुई, सबसे छोटी पत्नी के रूप में अपमान सहती हुई और जीती हुई, कभी-कभी किसी सौत के हमउम्र पुत्र की ओर आकृष्ट होती हुई। यही स्त्री अपने होने का अर्थ खोजती हुई भी यालाम की कहानियों में मौजूद है। इन कहानियों के बच्चे भी विलक्षण हैं। अनेक माँओं, किन्तु एक ही पुरुष की सन्तान होकर साथ-साथ रहते, सोते, खाते, शिकार करते, खेती में सहायता करते, शैतानी और मनोरंजन करते तथा अपनी ज़रूरतें ख़ुद पूरी करने को आतुर। बाह्य संरचना की दृष्टि से ये कहानियाँ बतकही के काफ़ी क़रीब हैं। रचना के ढाँचे के बारे में कोई ख़ास सावधानी दिखाई नहीं देती–ऐसी तो बिल्कुल नहीं, जो किसी लेखक को आशंका से भरे रखती है कि कहीं कोई उसकी कलात्मकता में कोई कमज़ोरी न खोज ले। यालाम को इसकी चिन्ता नहीं है। बिना किसी बनाव-सिंगार के जीवन और जीजिविषा के जो विविध चित्र इन कहानियों में उपस्थित हैं वे अविस्मरणीय हैं।

Joram Yalam Nabam

जोराम यालाम नाबाम का जन्म अरुणाचल प्रदेश के लोवर सुबानसिरी जिले के जोराम गाँव में 5 मार्च को हुआ। उन्होंने वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान से स्कूली शिक्षा पाई और राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश से हिन्दी में एम.ए. और पी-एच.डी. किया। अरुणाचल प्रदेश के बहुसंख्यक न्यीशी आदिवासी समुदाय से आनेवाली जोराम यालाम आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व के प्रश्नों में गहरी दिलचस्पी रखती हैं। इन विषयों पर वे पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिखती रही हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘साक्षी है पीपल’ (कहानी-संग्रह); ‘जंगली फूल’ (उपन्यास); ‘गाय-गेका की औरतें’ (संस्मरण); ‘न्यीशी समाज : भाषिक अध्ययन’ (शोध) और ‘तानी कथाएँ : अरुणाचल के तानी आदिवासी समाज की विश्वदृष्टि (लोक कथा विश्लेषण)। वर्तमान में वे राजीव गांधी विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश के हिन्दी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। सम्पर्क : joram.yalam@gmail.com
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