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Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2015 |
ISBN-13 | 9788126727674 |
ISBN-10 | 8126727675 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 90 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 20 x 14 x 4 |
Weight (grms) | 100 |
एक टीवी पत्रकार ने जैसा जिया शहर को, लिखी उसमे पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला. चौथे राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान से सम्मानित कृति. “प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है ! हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं ! उन कोनों में जिंदगी भर देते हैं....आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं ! और प्रेम में होना सिर्फ हाथ थामने का बहाना ढूंढना नहीं होता ! दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है ! ‘लप्रेक’ उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है !
Ravish Kumar
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd