Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9789388183055 |
ISBN-10 |
9789388183055 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
392 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
260 |
कृष्ण कुमार सिर्फ पेशे से नहीं, पैशन से भी शिक्षाशास्त्री हैं और अपने गहरे मानव-बोध के चलते समाज-शास्त्री। उनके लेखन में कहीं भी, कभी भी यह नहीं लगता कि यह उन्होंने किसी व्यावसायिक तकाजे पर लिखा है। उनकी चिन्ताओं की वास्तविकता को उनके गद्य की संरचना स्वयं बयान कर देती है। इस पुस्तक में उनकी कहानियाँ हैं। कहने की आवश्यकता नहीं कि जिस तरह उनका वैचारिक लेखन अपने सरोकारों और चिन्ताओं को स्पष्ट ढंग से रेखांकित करते हुए हमें एक समर्थ गद्य भी उपलब्ध कराता है जिससे हिन्दी के लिक्खाड़ भी कुछ सीख सकते हैं, उसी तरह उनकी ये कहानियाँ कहानी के मौजूदा बाजार में एक अलग कोने से किया गया हस्तक्षेप हैं।
Krishna Kumar
कृष्ण कुमार (जन्म 1951) का रचना जगत, मुख्यत: निबन्ध और कहानी में उजागर हुआ है। वे दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग के प्राध्यापक और पाँच वर्ष एनसीईआरटी के निदेशक रहे। उनकी हाल की पुस्तकों में 'चूड़ी बाजार में लड़की' और बच्चों के लिए 'चूड़ियों की गठरी चर्चित रही है। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है और 'चूड़ी बाजार में लड़की' को राजकमल का 'सृजनात्मक गद्य सम्मान' दिया गया है।
Krishna Kumar
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd