Khoyi Cheezon Ka Shok

Author :

Savita Singh

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

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Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 2021
ISBN-13

9789391950132

ISBN-10 9391950132
Binding

Hardcover

Number of Pages 112 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21 X 13.5 X 1.5

'खोई चीज़ों का शोक' सघन भावनात्मक आवेश से युक्त कविताओं की एक शृंखला है जो अत्यन्त निजी होते हुए भी अपने सौन्दर्यबोध में सार्वभौमिक हैं। ये ‌कविताएँ जीवन, प्रेम, मृत्यु और प्रकृति के अनन्त मौसमों से उनके सम्बन्ध पर भी सोचती हैं, इसलिए इनका एक पहलू दार्शनिक भी है। कुछ खोने के शोक के साथ, किसी और लोक में उसे पुनः पाने की उम्मीद भी इन कविताओं में है। कवि के हृदय से सीधे पाठक के हृदय को छूने वाली ये कविताएँ सहानुभूति से ज़्यादा हमसे हमारी नश्वरता पर विचार करने की माँग करती हैं। संग्रह में शामिल शीर्षक कविता किसी अपने के बिछोह पर एक अभूतपूर्व और कभी भुलाई न जा सकने वाली श्रद्धांजलि है।


केसच्चिदानंदन


'खोई चीज़ों का शोक' की अधिकतर कविताएँ मृत्यु के साथ एक अन्तरंग संवाद हैं। यह संवाद एक नहीं अनेक दिशाओं में खुलता है। प्रिय साथी की मृत्यु चहुँओर प्रवाहित हो रही मृत्यु की अनगिनत धारों के करीब होने का बहाना मुहैया करती है। अपने भीतर की मृत्यु, सामाजिक जीवन की मृत्यु, आततायी राजनीति की सहचर मृत्यु, पृथ्वी और उसकी आकाश की मृत्यु। सब मृत्युएँ जीवन की वासना के साथ घुल-मिलकर रहती-सहती हैं, बोलती-बतियाती हैं। यह देखना बहुत उत्तेजक है कि पिछले संग्रहों में पुरुष साथी को हमेशा अन्य पुरुष की तरह सम्बोधित करने वाली कवयित्री इस संग्रह में उसी के भीतर परकाया प्रवेश करती है। वह उसकी मृत्यु को अपने भीतर और अपनी मृत्यु को उसके भीतर खोजते हुए मृत्यु के स्त्री-आशय का उन्मेष करती है। जिस मृत्यु को पितृसत्ता ने हमेशा जीवन के समापन के रूप में तिरस्कृत किया, उसी को सविता जी की कविता ने इस संग्रह में जीवन के अन्तहीन संघर्ष के रूप में पुनराविष्कृत किया है। यह मृत्यु की भी मुक्ति है।


आशुतोष कुमार

Savita Singh

शिक्षा: राजनीतिशास्त्र में एम.ए., एम. फिल., पी-एच.डी. (दिल्ली विश्वविद्यालय)। मांट्रियाल (कनाडा) स्थित मैक्गिल विश्वविद्यालय में साढ़े चार वर्ष तक शोध व अध्यापन। शोध का विषय: ‘भारत में आधुनिकता का विमर्श’। सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से अध्यापन का आरम्भ करके डेढ़ दशक तक दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया। सम्प्रति इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में प्रोफेसर, स्कूल ऑव जेन्डर एंड डेवलेपमेंट स्टडीज़ की संस्थापक निदेशक रहीं। हिन्दी व अंग्रेज़ी में सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य, स्त्री-विमर्श और अन्य वैचारिक मुद्दों पर निरन्तर लेखन। अनेक शोध-पत्र और कविताएँ अन्तरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पहला कविता संग्रह ‘अपने जैसा जीवन’ (2001) हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। दूसरे कविता संग्रह ‘नींद थी और रात थी’ (2005) पर रज़ा सम्मान। दो द्विभाषिक काव्य-संग्रह ‘रोविंग टुगेदर’ (अंग्रेज़ी-हिन्दी) तथा ‘ज़ स्वी ला मेजों दे जेत्वाल (फ्रेंच-हिन्दी) 2008 में प्रकाशित। अंग्रेज़ी में कवयित्रियों के अन्तरराष्ट्रीय चयन ‘सेवेन लीव्स, वन ऑटम’ (2011) का सम्पादन जिसमें प्रतिनिधि कविताएँ शामिल। 2012 में प्रतिनिधि कविताओं का चयन ‘पचास कविताएँ: नयी सदी के लिए चयन’ शृंखला में प्रकाशित। फाउंडेशन ऑव सार्क राइटर्स ऐंड लिटरेचर के मुखपत्र ‘बियांड बोर्डर्स’ का अतिथि सम्पादन। कनाडा में रिहाइश के बाद दो वर्ष का ब्रिटेन प्रवास। फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, हॉलैंड और मध्यपूर्व तथा अफ्रीका के देशों की यात्राएँ जिस दौरान विशेष व्याख्यान दिये।.
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