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| Publisher | LOKBHARTI PRAKASHAN |
| Publication Year | 2020 |
| ISBN-13 | 9789389243505 |
| ISBN-10 | 9389243505 |
| Binding | Hardcover |
| Number of Pages | 471 Pages |
| Language | (Hindi) |
| Dimensions (Cms) | 22 X 15 X 3 |
महिला लेखन में बीसवीं सदी से आजतक का समय यदि एक प्रस्थान बिन्दु के रूप में लिया जाय तो यह स्पष्ट है कि इन सौ वर्षों में स्त्रियों की लेखनी में सबसे अधिक परिवर्तन की प्रक्रिया दिखी। पुरुषों के लेखन में मात्र पात्र की भूमिका से निकलकर स्त्रियों ने स्वयं अपनी कलम से अस्तित्व, व्यक्तित्व और विचार को अभिव्यक्ति देना अभीष्ट समझा। इस तरह हिन्दी-साहित्य में एक विशेष परिदृश्य निर्मित हुआ जिसका सारगर्भित परिचय प्रस्तुत संकलन से मिलता है। इसमें स्त्री रचनाकारों के कोमल संवेगों के साथ-साथ आत्म सजग सृजन और विकास के उल्लेखनीय साक्ष्य हैं। राजेन्द्र बाला घोष (बंग महिला) से लेकर अलका सरावगी तक एक लम्बी परम्परा तैयार हुई है जहाँ कलम की साँकलें कहीं अनायास कहीं सायास खुली हैं। हर्ष और गर्व का विषय है कि महिला लेखन अब हिन्दी साहित्य में एक सशक्त, सचेत, संवेदनायुक्त धारा है। आनेवाला समय यह याद रखे कि अपने इर्द-गिर्द खड़े किए समस्त चौखटे और कोष्ठक तोड़कर इक्कीसवीं सदी की स्त्री अपने पूरे तेवर के साथ हर क्षेत्र में उठ खड़ी हुई है। इस संकलन में हमें कहानी और निबन्ध, जीवनी और संस्मरण, आलोचना और विमर्श, गोया हर गद्य विधा और विषय पर स्त्री की तेजस्विता का परिचय मिलेगा। महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, कृष्णा सोबती, मन्नू भण्डारी से लेकर नए सितारे गीतांजलि श्री, मधु कांकरिया, सारा राय और अलका सरावगी तक अपने पूरे तेवर के साथ मौजूद हैं।
Mamta Kaliya
LOKBHARTI PRAKASHAN