Mann Ki Uljhane – Kya Na Karen?

Author:

DR. RAM GOPAL SHARMA

Publisher:

V & S Publishers

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Publisher

V & S Publishers

Publication Year 2016
ISBN-13

9789350576649

ISBN-10 9789350576649
Binding

Paperback

Number of Pages 76 Pages
Language (Hindi)
Weight (grms) 104
व्यक्ति की बुद्धि और शरीर का संचालन उसके मन से होता है। मन शान्त, स्थिर और हर्ष से भरा हुआ हो, तो सभी कुछ सहज और स्वाभाविक ढंग से पूर्ण होता चला जाता है। इसके विपरीत यदि मन ठीक नहीं हो, यानी उसमें ढेरों उलझनें भरी हों, तो बुद्धि बौरा जाती है, कोई रास्ता नहीं सूझता और बौखलाहट में व्यक्ति बहुत कुछ उलट-सुलट कर बैठता है। इसीलिए यह मानी हुई बात है कि प्रसन्न तथा शान्त मन व्यक्ति को चिर आनंद की प्राप्ति कराता है व जीने की राह बनाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में यह पुस्तक मन की गुत्थियों को सुलझाकर व्यक्ति को वर्तमान समय में जीने और उन्नति करने योग्य बनाने वाली व्यावहारिक मार्गदर्शिका है। इस पुस्तक में बताया गया है भय, तृष्णा, अहंकार, क्रोध, आलस्य, निराशा, अन्तर्द्वंद्व, अतिभावुकता, बेचैनी, विमुखता, चिंता, ऊँची उड़ानों जैसे मन के विकारों को कैसे दूर किया जा सकता है; और धैर्य, आशा, आत्मविश्वास, चाह, इंद्रियों पर नियंत्रण, शरीर सौष्ठव, आत्मविस्तार और आत्मसम्मान को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।

DR. RAM GOPAL SHARMA

डॉ. राम गोपाल शर्मा ने आगरा विष्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी मे एम. ए. करने के बाद पी एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। 9 वर्ष अध्यापन और 15 वर्ष पत्रकारिता को समर्पित किए। डॉ. शर्मा निरंतर पाठय पुस्तके तथा कहानी, कविता, नाटक, गीत और लोकगीत लिखते रहे है। आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक केन्द्रो से उनकी रचनाऐ प्रसारित हुई है। साथ ही टेलेफिल्मे एवं लोकगीत के अनेक कार्यकर्म भी टेलीकास्ट हो चुके है।
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