Pratinidhi Kavitayein : Ajneya

Author :

Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2024
ISBN-13

9789360865443

ISBN-10 9360865443
Binding

Paperback

Number of Pages 128 Pages
Language (Hindi)
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ भारतीय साहित्य इतिहास के सबसे चर्चित और लोकप्रिय कवियों में हैं। पिछली शताब्दी के अनेक साहित्य आन्दोलन और प्रवृत्तियों का केन्द्र रहे कवि अज्ञेय का व्यक्तित्व समर्थ कथाकार और आलोचक का भी है। कविता उनके व्यक्तित्व का केन्द्र बिन्दु है। वे व्यक्ति की निजता और स्वतंत्रता को सबसे अधिक महत्त्व देते थे। भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में भी सक्रिय रहे कवि अज्ञेय का कृतित्व 1930 के आसपास प्रारम्भ होकर उनके निधन 1987 तक चलता है। उनके अनेक कविता-संग्रह हिन्दी की श्रेष्ठ कृतियों में अग्रगण्य हैं। अज्ञेय की कविताओं पर मनोविश्लेषण, अस्तित्ववाद, आधुनिकता और गैर रूमानियत का असर देखा जाता है। धर्म मुक्त आध्यात्मिकता भी उनके काव्य में मौजूद रहस्यवाद का एक पक्ष है। राजकमल प्रकाशन की प्रतिनिधि कविताएँ शृंखला में अज्ञेय की यह पुस्तक पाठकों को उनके काव्य के श्रेष्ठतम का आस्वाद देगी।

Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' जन्म : 7 मार्च, 1911 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कुशीनगर में। शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा पिता की देख-रेख में घर पर ही। 1929 में बी.एस-सी. करने के बाद एम.ए. में अंग्रेजी विषय रखा; पर क्रान्तिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने के कारण पढ़ाई पूरी न हो सकी। 1930 से 1936 तक विभिन्न जेलों में कटे। 1936-37 में सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का सम्पादन किया। 1943 से 1946 तक ब्रिटिश सेना में रहे; इसके बाद इलाहाबाद से प्रतीक नामक पत्रिका निकाली और ऑल इंडिया रेडियो की नौकरी स्वीकार की। देश-विदेश की यात्राएँ कीं। दिल्ली लौटे और दिनमान साप्ताहिक, नवभारत टाइम्स, अंग्रेजी पत्र वाक् और एवरीमैंस जैसी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। 1980 में वत्सलनिधि की स्थापना की। प्रमुख कृतियाँ : कविता-संग्रह : भग्नदूत, चिन्ता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इन्द्रधनु रौंदे हुये ये, अरी ओ करुणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, प्रिज़न डेज़ एंड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में)। कहानी-संग्रह : विपथगा, परम्परा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल। उपन्यास : शेखर एक जीवनी—प्रथम भाग और द्वितीय भाग, नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी। यात्रा वृतान्त :अरे यायावर रहेगा याद, एक बूँद सहसा उछली। निबंध-संग्रह : सबरंग, त्रिशंकु, आत्मनेपद, आधुनिक साहित्य, एक आधुनिक परिदृश्य, आलवाल। आलोचना : त्रिशंकु, आत्मनेपद, भवन्ती, अद्यतन। संस्मरण : स्मृति लेखा। डायरियाँ : भवन्ती, अन्तरा और शाश्वती। विचार गद्य : संवत्सर। नाटक : उत्तरप्रियदर्शी। सम्पादित ग्रन्थ : तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक (कविता-संग्रह) के साथ कई अन्य पुस्तकों का सम्पादन। सम्मान : 1964 में आँगन के पार द्वार पर उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ और 1979 में कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार। निधन : 4 अप्रैल, 1987
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