Ram Katha

Author :

Hiralal Shukla

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2014
ISBN-13

9788180319716

ISBN-10 8180319717
Binding

Hardcover

Number of Pages 95 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14.5 X 1.5

आदिवासी जनजातियों की बोली हल्बी में रचितराम कथापुस्तक में सिर्फ़ राम की कथा ही नहीं है, बल्कि वह आध्यात्मिक चेतना भी है जिससे जीवन-उद्देश्य के लिए कठिन रास्ते और धुँधली दिशाएँ तय की जा सकती हैं और अपने सपनों के मुताबिक़ अपना संसार रचा जा सकता है। इस तरह अँधेरे में जैसे एक रोशनी होयह कथाराम कथा। गोस्वामी तुलसीदास की कृतिरामचरितमानस’ ‘भक्ति-शक्ति और मुक्तिकी कृति है। चार सौ वर्षों के बाद भी जन-जन में समाहित इस कृति में 'युग का समय और समय का युग' एक सम्पूर्णता में श्रेष्ठतम सृजन में 'देखने' और 'दिखने' को मिलता है। यह पुस्तक उसी समय-सृजन युग से जुड़ने और जोड़ने की एक सतत प्रक्रिया प्रतीत होती है।यह पुस्तक रामकथा के बहाने हाशिए की ज़िन्दगी जी रही जनजातियों के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी तैयार करती है कि वही भक्ति सच्ची भक्ति है, जिसमें शक्ति के स्रोत हों और वही शक्ति वास्तविक शक्ति है, जिसमें मुक्ति की सम्भावना हो।

Hiralal Shukla

शिक्षा : एम.ए. (संस्‍कृत), एम.ए. (भाषाविज्ञान), दर्शनशास्‍त्री, पीएच.डी. (संस्‍कृत)। कार्य : भाषाविज्ञान विभाग, रविशंकर विश्‍वविद्यालय, रायपुर में प्राध्‍यापक।
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