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Publisher | LOKBHARTI PRAKASHAN |
Publication Year | 2014 |
ISBN-13 | 9788180319730 |
ISBN-10 | 8180319733 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 116 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1 |
गोंडी बोली में रामकथासार की प्रस्तुति रचनात्मक अभाव को दूर करने की एक बड़ी कोशिशतो है ही, नई शुरुआत करने की एक दूरदृष्टि भी है। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानसएक ऐसी कृति है, जिसका दो-तिहाई से अधिक अंश वनभूमि और वनजनों से सम्बद्ध है और आदिवासियों के जीवन-जगत में आज भी शामिल है, जिससे ये अपना सम्बन्ध पुरातन मानते हैं, इसलिए अभिन्न जुड़ाव रखते हैं।गोंडी बोली की इस रामकथा में आदिवासी समुदाय अपने जीवन, समाज, संस्कृति और सामूहिक संघर्ष-चेतना कीभी कथा देखता, जीता है। यह पुस्तक रामकथा के बहाने जनजातियों की तरफ़ से उनकी विरासत का परिचयऔर उनके अपने अस्तित्व की गाथा भी प्रस्तुत करती है।
Hiralal Shukla
LOKBHARTI PRAKASHAN