Rashmimala )

Author:

Ramdhari Singh Dinkar

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2008
ISBN-13

9788180313370

ISBN-10 9788180313370
Binding

Hardcover

Number of Pages 311 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 493
रश्मिमाला रश्मिमाला राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की श्रेष्ठ कविताओं, क्षणिकाओं और सूक्तियों का संकलन है। इस पुस्तक में महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण के प्रण-भंग के चित्रण से लेकर अपने राष्ट्र, समाज तथा मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं। राष्ट्रकवि का प्रखर चिन्तन उनकी विचारोत्तेजक, मार्गदर्शक सूक्तियों में मिलता है तथा क्षणिकाओं के रूप में महाकवि की दार्शनिकता की झाँकी भी हमें मिलती है, जैसे- जो बहुत बोलता हो, उसके साथ कम बोलो। जो हमेशा चुप रहे। उसके सामने हृदय मत खोलो। दिनकर जी की श्रेष्ठ कविताओं, क्षणिकाओं और सूक्तियों से सजी-सँवरी सरल, सहज भाषा-शैली में यह कृति हिन्दी काव्य-साहित्य की अमूल्य निधि है।

Ramdhari Singh Dinkar

राष्ट्रकवि 'दिनकर' छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओं में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति। वे संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू के भी बड़े जानकार थे। वे 'पद्म विभूषण' की उपाधि सहित 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार' आदि से सम्मानित किए गए थे।.
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