Publisher |
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year |
2023 |
ISBN-13 |
9788183615105 |
ISBN-10 |
8183615104 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
176 Pages |
Language |
(Hindi) |
शेखचिल्ली एक ऐसा कथा-नायक है जो आमलोक-जीवन के संघर्षों से बार-बार उबरता है और बार-बार उन्हीं संघर्षों में जुत जाता है। उसमें ईमानदारी है, निष्ठा है, मर्यादा है, परिस्थितिजन्य विवेक है, लगन और उत्साह है और इन सबसे बड़ी बात यह भी है कि वह अपने वर्तमान में जीता है। अतीत की स्मृतियों को उलीचता हुआ, वर्तमान की राह बनाता हुआ यह पात्र कभी भविष्य की चिन्ता में डूबता-उतराता नहीं है।
जीवन के उतार-चढ़ाव में संयत रहते हुए मनमौजी जीवन जीता हुआ शेखचिल्ली कई बार हमें मूर्ख या बेवकूफ़ प्रतीत होता है, किन्तु उसकी अजीबो-ग़रीब हरकतों में समय की ऐसी समझ समाई रहती है कि पाठक उसकी सराहना किए बिना नहीं रह सकता। ये कहानियाँ शेखचिल्ली की कारस्तानियों का मनोरंजक विस्तार हैं।
इस संग्रह में शेखचिल्ली की अलग-अलग कहानियाँ किसी माला में गूँथे गए मनकों की तरह पिरोई गई हैं। इस कथा-संग्रह की विशेषता है कि शेखचिल्ली के जीवन के कालखंडों को दर्शाती कथाओं को इसमें इस तरह रखा गया है कि उनका अलग अस्तित्व बना रहे और उसके जीवन की विकास-यात्रा की निरन्तरता का भी पता चलता रहे। आज भी उसकी कहानियाँ जहाँ हमें हँसाती हैं, वहीं जुल्म का सामना करने का साहस भी प्रदान करती हैं।
रोचक और सरल भाषा में लिखी गई ये कहानियाँ पाठकों का भरपूर मनोरंजन करने का वादा करती हैं और दावा भी कि कोई है जो इन्हें पढ़कर हँसे बिना रह सके!
Ashok Maheshwari
अशोक महेश्वरी
9 अक्टूबर, 1957 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे अशोक महेश्वरी ने रूहेलखंड विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी साहित्य) की पढ़ाई पूरी की। वे 1974 में प्रकाशन की दुनिया में सक्रिय हुए। 1978 में 'वाणी प्रकाशन’ का कार्यभार सँभाला। इसे सफलता की राह में तेजी से आगे बढ़ाते हुए 1988 में हिन्दी के प्रमुख प्रकाशनों में एक 'राधाकृष्ण प्रकाशन’ का कार्यभार भी सँभाला।
1991 में 'वाणी प्रकाशन’ की जिम्मेदारी से अलग हो गए। 1994 में हिन्दी साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान 'राजकमल प्रकाशन’ के प्रबन्ध निदेशक बने। 'राजकमल’ और 'राधाकृष्ण प्रकाशन’ को प्रगति-पथ पर आगे बढ़ाते हुए 2005 में 'लोकभारती प्रकाशन’ का भी कार्यभार सँभाला। फिलहाल वे हिन्दी के तीन प्रमुख साहित्यिक प्रकाशनों के समूह 'राजकमल प्रकाशन समूह’ के अध्यक्ष हैं। इनकी कुछ बालोपयोगी पुस्तकें काफी चर्चित हैं।
Ashok Maheshwari
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD