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Publisher | RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year | 2008 |
ISBN-13 | 9788183611169 |
ISBN-10 | 8183611168 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 127 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 21 X 14 X 2.5 |
Weight (grms) | 120 |
स्वयंसिद्धा महिला कथाकारों में जितनी ख्याति और लोकप्रियता शिवानी ने प्राप्त की है, वह एक उदाहरण है श्रेष्ठ लेखन के लोकप्रिय होने का। शिवानी लोकप्रियता के शिखर को छू लेनेवाली ऐसी हस्ती हैं, जिनकी लेखनी से उपजी कहानियाँ कलात्मक और मर्मस्पर्शी होती हैं। अन्तर्मन की गहरी पर्तें उघाड़ने वाली ये मार्मिक कहानियाँ शिवानी की अपनी मौलिक पहचान है जिसके कारण उनका अपना एक व्यापक पाठक वर्ग तैयार हुआ। इनकी कहानियाँ न केवल श्रेष्ठ साहित्यिक उपलब्धियाँ हैं, बल्कि रोचक भी इतनी अधिक हैं कि आप एक बार शुरू करके पूरी पढ़े बिना छोड़ ही न सकेंगे। प्रस्तुत संग्रह में स्वयंसिद्धा, अभिनय, कौन, गैंडा, बदला एवं दर्पण कहानियाँ संकलित हैं। हर कथा अपनी मोहक शैली में अभिभूत कर देने की अपार क्षमता रखती है। कलात्मक कौशल के साथ रची गई ये कहानियाँ हमारी धरोहर हैं जिन्हें आज की नयी पीढ़ी अवश्य पढ़ना चाहेगी।
Shivani
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD