Ahalya

Author:

Prabha Khetan

Publisher:

VANI PRAKSHAN

Rs179 Rs199 10% OFF

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Publisher

VANI PRAKSHAN

Publication Year 2020
ISBN-13

9789389563863

ISBN-10 9789389563863
Binding

Paperback

Number of Pages 80 Pages
Language (Hindi)
मैंने यह कविता कुछ विशिष्ट बुद्धिजीवियों के लिए नहीं लिखी। उन गिने-चुने लोगों का मेरे जीवन में कोई स्थान नहीं और न ही यह कविता जन के नाम पर हाँकी जाती उस भीड़ के लिए है, जो आज की राजनीति के बदलते पैंतरों में बिल्कुल अमूर्त हो गयी है। हम किसे कहते हैं जन? क्या उसे ही, जो खिलौना बनकर रह गया है, इन खुशामदी अफ़लातूनी राजनीतिक कठमुल्लों के हाथ? ये सारी अमूर्तताएँ प्रेरित कर सकती हैं किसी जनोत्तेजना को, लेकिन मेरा इसमें विश्वास नहीं। यह कविता जन्मी किसी ख़ास घटना की वजह से। यह काफी दिनों से मेरे जेहन में थी। पहले मुझे भय भी लगा कि यह क्या है ठोस पथरीला, जो एक बोझ की तरह दिल पर वज़न डाले जा रहा है? मैंने इसे भूलने की कोशिश की। कुछ महीनों बाद, शायद साल-भर बाद मैंने सोचा इसे शब्दों में उतारूँ। इस पर कुछ लिखू। क्या नाटक? कहानी? नहीं, यह घटना कविता बनकर उभरी।

Prabha Khetan

"प्रभा खेतान जन्म : 1 नवम्बर, 1942 शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (दर्शनशास्त्र)। प्रकाशित कृतियाँ : आओ पेपे घर चलें!, छिन्नमस्ता, पीली आँधी, अग्निसंभवा, तालाबंदी, अपने-अपने चेहरे (उपन्यास); अपरिचित उजाले, सीढ़ियाँ चढ़ती हुई मैं, एक और आकाश की खोज में, कृष्ण धर्मा मैं, हुस्न बानो और अन्य कविताएँ अहल्या (कविता); उपनिवेश में स्त्री, सार्त्र का अस्तित्ववाद, शब्दों का मसीहा : सार्त्र, अल्बेयर कामू : वह पहला आदमी (चिन्तन); साँकलों में कैद कुछ क्षितिज (कुछ दक्षिण अफ्रीकी कविताएँ), स्त्री : उपेक्षिता (सीमोन द बोउवार की विश्व-प्रसिद्ध कृति द सेकंड सेक्स) (अनुवाद)। एक और पहचान, हंस का स्त्री विशेषांक भूमंडलीकरण : पितृसत्ता के नये रूप (सम्पादन)। निधन : 20 सितम्बर, 2008"
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