Amita (Hindi)

Author:

Yashpal

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs166 Rs195 15% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2010
ISBN-13

9788180314995

ISBN-10 8180314995
Binding

Hardcover

Number of Pages 164 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22X14X2
Weight (grms) 172

इस उपन्यास के प्राक्कथन में यशपाल स्वयं इसके मूल मन्तव्य की ओर इशारा करते हैं—‘विश्वशान्ति के प्रयत्नों में सहयोग देने के लिए मुझे भी तीन वर्ष में दो बार यूरोप जाना पड़ा है। स्वभावत: इस समय (1954–1956) में लिखे मेरे इस उपन्यास में, मुद्दों द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त करने अथवा समस्याओं को सुलझाने की नीति की विफलता का विचार कहानी का मेरुदंड बन गया है।’ ‘अमिता’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में कल्पना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है। कलिंग पर अशोक के आक्रमण की घटना में परिवर्तन करके यशपाल ने इस उपन्यास का केन्द्र कलिंग की बालिका राजकुमारी अमिता को बनाया है। उपन्यास के माध्यम से वे जो सन्देश युद्ध–त्रस्त संसार को देना चाहते हैं, वह उन्हीं के शब्दों में ‘मनुष्य ने अपने अनुभव और विकास से शान्ति की रक्षा का अधिक विश्वास योग्य उपाय खोज लिया है। यह सत्य बहुत सरल है। मनुष्य अन्तरराष्ट्रीय रूप में दूसरों की भावना और सदिच्छा पर विश्वास करे, दूसरों के लिए भी अपने समान ही जीवित रहने और आत्म–निर्णय से सह–अस्तित्व के अधिकार को स्वीकार करे। सभी राष्ट्र और समाज अपने राष्ट्रों की सीमाओं में, अपने सिद्धान्तों और विश्वासों के अनुसार व्यवस्था रखने में स्वतंत्र हों। जीवन में समृद्धि और सन्तोष पाने का मार्ग अपनी शक्ति को उत्पादन में लगाना है, दूसरों को डराकर और मारकर छीन लेने की इच्छा करना नहीं है।’

Yashpal

जन्म: 3 दिसम्बर, 1903, फिरोजपुर छावनी, पंजाब। शिक्षा: प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल काँगड़ी, डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर और फिर मनोहर लाल हाईस्कूल में हुई। सन् 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। प्रारम्भिक जीवन रोमांचक कथाओं के नायकों-सा रहा। भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण और आजाद के साथ क्रान्तिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया। सन् 1931 में 'हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना' के सेनापति चन्द्रशेखर आजाद के मारे जाने पर सेनापति नियुक्त। 1932 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में गिरफ्तार। 1938 में जेल से छूटने के बाद जीवनपर्यन्त लेखन-कार्य में संलग्न रहे। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ: झूठा सच: वतन और देश, झूठा सच: देश का भविष्य, मेरी तेरी उसकी बात, देशद्रोही, दादा कामरेड, मनुष्य के रूप, दिव्या, अमिता, बारह घंटे, अप्सरा का शाप (उपन्यास); धर्मयुद्ध, ओ भैरवी, उत्तराधिकारी, चित्र का शीर्षक, अभिशप्त, वो दुनिया, ज्ञानदान, पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफान, भस्मावृत चिंगारी, फूलो का कुर्ता, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ, उत्तमी की माँ, खच्चर और आदमी, भूख के तीन दिन, लैम्प शेड (कहानी-संग्रह); लोहे की दीवार के दोनों ओर, राहबीती, स्वर्गोद्यान: बिना साँप (यात्रा-वृत्तान्त); मेरी जेल डायरी (डायरी); रामराज्य की कथा, गाँधीवाद की शव-परीक्षा, मार्क्सवाद; देखा, सोचा, समझा; चक्कर क्लब, बात-बात में बात, न्याय का संघर्ष, बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रोबीला है, जग का मुजरा, मैं और मेरा परिवेश, यथार्थवाद और उसकी समस्याएँ, यशपाल का विप्लव (राजनीति/निबन्ध/व्यंग्य/संपादन); सिंहावलोकन (सम्पूर्ण 1-4 भाग) (संस्मरण); नशे-नशे की बात (नाटक); प्रिय पाश (पत्र)। पुरस्कार: देव पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक, पद्मभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार। निधन: 26 दिसम्बर, 1976.
No Review Found
More from Author