Deshdrohi (Paperback)

Author:

Yashpal

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs166 Rs195 15% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2009
ISBN-13

9788180313745

ISBN-10 8180313743
Binding

Paperback

Edition 1st
Number of Pages 216 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22.5X14X1.5
Weight (grms) 252

हमारे वर्तमान जीवन का यथार्थ क्या है? क्या ऐसे समय में भी मिथ्या-विश्वास और प्रवंचना की पिनक में सन्तुष्ट रह सकना सम्भव है? सौन्दर्य और तृप्ति की अभिलाषा उत्पन्न कर देना एक काम है। सौन्दर्य और तृप्ति की स्मृति जगा कर सुख की अनुभूति उत्पन्न कर देना भी काम है, परन्तु उससे बढ़कर काम हो सकता है, सौन्दर्य और तृप्ति के साधनों की उत्पादन और परिस्थिति के निर्माण के लिए भावना और संकेत द्वारा सहयोग देना साहित्य का कलाकार केवल चारण बनकर सौन्दर्य, पौरुष और तृप्ति की महिमा गाकर ही अपने सामाजिक कर्त्तव्य को पूरा नहीं कर सकता। विकास और पूर्णता के सामाजिक प्रयत्न की इच्छा और उत्साह उत्पन्न करना और उस उत्साह को विवेक और विश्लेषण की प्रवृत्ति द्वारा सजग और सचेत रखने की भावना जगाना, साहित्य के कलाकार का काम है।

Yashpal

जन्म: 3 दिसम्बर, 1903, फिरोजपुर छावनी, पंजाब। शिक्षा: प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल काँगड़ी, डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर और फिर मनोहर लाल हाईस्कूल में हुई। सन् 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। प्रारम्भिक जीवन रोमांचक कथाओं के नायकों-सा रहा। भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण और आजाद के साथ क्रान्तिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया। सन् 1931 में 'हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना' के सेनापति चन्द्रशेखर आजाद के मारे जाने पर सेनापति नियुक्त। 1932 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में गिरफ्तार। 1938 में जेल से छूटने के बाद जीवनपर्यन्त लेखन-कार्य में संलग्न रहे। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ: झूठा सच: वतन और देश, झूठा सच: देश का भविष्य, मेरी तेरी उसकी बात, देशद्रोही, दादा कामरेड, मनुष्य के रूप, दिव्या, अमिता, बारह घंटे, अप्सरा का शाप (उपन्यास); धर्मयुद्ध, ओ भैरवी, उत्तराधिकारी, चित्र का शीर्षक, अभिशप्त, वो दुनिया, ज्ञानदान, पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफान, भस्मावृत चिंगारी, फूलो का कुर्ता, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ, उत्तमी की माँ, खच्चर और आदमी, भूख के तीन दिन, लैम्प शेड (कहानी-संग्रह); लोहे की दीवार के दोनों ओर, राहबीती, स्वर्गोद्यान: बिना साँप (यात्रा-वृत्तान्त); मेरी जेल डायरी (डायरी); रामराज्य की कथा, गाँधीवाद की शव-परीक्षा, मार्क्सवाद; देखा, सोचा, समझा; चक्कर क्लब, बात-बात में बात, न्याय का संघर्ष, बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रोबीला है, जग का मुजरा, मैं और मेरा परिवेश, यथार्थवाद और उसकी समस्याएँ, यशपाल का विप्लव (राजनीति/निबन्ध/व्यंग्य/संपादन); सिंहावलोकन (सम्पूर्ण 1-4 भाग) (संस्मरण); नशे-नशे की बात (नाटक); प्रिय पाश (पत्र)। पुरस्कार: देव पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक, पद्मभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार। निधन: 26 दिसम्बर, 1976.
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