Do Panktiyon Ke Beech (Hindi)

Author:

Rajesh Joshi

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9789394902800

ISBN-10 9394902805
Binding

Paperback

Edition 5th
Number of Pages 111 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22.5614.1
Weight (grms) 135

राजेश जोशी भाषा को लिरिकल बनाते हुए उस संगीत तक ले जाते हैं, जहाँ से अर्थों की उड़ान शुरू होती है। वह थियेटर की सभी तकनीकें, प्रश्नाधारित संवाद, लय और गीतात्मकता का सीधा इस्तेमाल करते हैं, किन्तु कविता की मूल प्रतिज्ञा, सूक्ष्मता और संवेदनीयता से नहीं डिगते। राजेश की कविता की ताक़त रेटारिक का अर्थ ही बदल देती है। वह देखते-देखते भाषा को वस्तु और वस्तु को उसकी अन्तर्वस्तु में बदल देती है। भोपाल राजेश की कविताओं में एक आर्गेनिक संरचना की तरह गुँथा है। वह उनकी बोली, बानी, मिज़ाज, मौसम सभी कुछ में व्याप्त है। शायद इसी को लक्ष्य कर ऋतुराज ने लिखा था, वह अपने अनुभव को सिरजते वक़्त शोकगीत की लयात्मकता नहीं छोड़ते। लय उनकी कविताओं में सहज भाव से आती है, जैसे कोई कुशल सरोदवादक आलाप में भोपाल राग का विस्तार कर रहा हो! राजेश की राजनीतिक चेतना किताबी नहीं है। उनके मंतव्य स्पष्ट हैं। निष्कर्षों को लेकर दुविधा नहीं है। राजेश की राजनीतिक सम्मान की कविताएँ रेटारिक या स्थूल होने की जगह बारीकी और नफ़ासत का नमूना पेश करती हैं। मार्क्सवाद के संस्पर्श से जिन कवियों ने अपनी समझ और संवेदना को गहरा किया है, राजेश जोशी को उनमें अलग से चिह्नित किया जा सकता है। समय, स्थान और गतियों के अछूते सन्दर्भों से भरी है राजेश की कविता। यहाँ काल का बोध गहरा और आत्मीय है। अपने मनुष्य होने के अहसास और उसे बचाए रखने की जद्दोजहद हैं राजेश की कविताएँ। (नरेश सक्सेना की एक टिप्पणी से कुछ पंक्तियाँ।)

Rajesh Joshi

18 जुलाई, 1946 नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश में जन्म। लम्बी कविता : समरगाथा; कविता-संग्रह : धूपघड़ी, नेपथ्य में हँसी, दो पंक्तियों के बीच, चाँद की वर्तनी, जिद। बच्चों के लिए कविताएँ :गेंद निराली मीठू की। कहानी-संग्रह : कपिल का पेड़, मेरी चुनी हुई कहानियाँ। एक आख्यान : किस्सा कोताह। दो आलोचना पुस्तकें : एक कवि की नोटबुक, एक कवि की दूसरी नोटबुक (समकालीनता और साहित्य)। नाटक : जादू जंगल, अच्छे आदमी, पाँसे और सपना मेरा यही सखी। बच्चों के लिए एक नाटक : ब्रह्मराक्षस का नाई।
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