कविता का नगर चाहे बहुत भिन्न हो, उसमें कल्पना का तत्त्व बहुत अधिक या कम हो, लेकिन बाहर स्थित नगर से उसकी शक्लथोड़ी-बहुत तो मिलती है। पर हर बार मेरी शक्ल को वास्तविक नगर की शक्ल से मिला-जुलाकर देखने की कवायद फिजूल है। कई बार कवियों को भी यह भ्रम हो जाता है कि वे अपनी कविता में वास्तविक शहर के यथार्थ को समेट रहे हैं। उन्हें लगता है कि वो कविता में शब्दों से वो ही शहर बना सकते हैं जो वास्तविक शहर है।
Rajesh Joshi
18 जुलाई, 1946 नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश में जन्म। लम्बी कविता : समरगाथा; कविता-संग्रह : धूपघड़ी, नेपथ्य में हँसी, दो पंक्तियों के बीच, चाँद की वर्तनी, जिद। बच्चों के लिए कविताएँ :गेंद निराली मीठू की। कहानी-संग्रह : कपिल का पेड़, मेरी चुनी हुई कहानियाँ। एक आख्यान : किस्सा कोताह। दो आलोचना पुस्तकें : एक कवि की नोटबुक, एक कवि की दूसरी नोटबुक (समकालीनता और साहित्य)। नाटक : जादू जंगल, अच्छे आदमी, पाँसे और सपना मेरा यही सखी। बच्चों के लिए एक नाटक : ब्रह्मराक्षस का नाई।
Rajesh Joshi
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd