Cheelen

Author:

Bhishm Sahni

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs316 Rs395 20% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2016
ISBN-13

9788126727063

ISBN-10 9788126727063
Binding

Hardcover

Number of Pages 132 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 1000
भीष्म साहनी ने बहैसियत कथाकार पठनीयता और किस्सागोई की कला को इस तरह साधा था कि आलोचक जहाँ उनकी दृष्टि के वैशिष्ट्य से प्रभावित होते थे, वहीँ साधारण पाठक कहानी के कहानीपन से | शहरी और कस्बाई मध्यवर्गीय जीवन में ज्यादा सहूलियत महसूस करनेवाली उनकी लेखनी ने जरूरत पड़ने पर समाज के वीभत्स और भयावह चित्रों को भी अंकित किया | यह वैविध्य इन कहानियों में भी मिलता है | अभी तक असंकलित रही इन कहानियों में 'सफाई अभियान' जैसी कहानियाँ भी हैं जो सफेदपोश मध्यवर्ग की वैचारिक दिशाहीनता और सामाजिक निष्क्रियता के डॉ पहलुओं को एक साथ रेखांकित करती हैं, और 'दुलारी का प्रेमी' जैसी समाज के पिछवाड़े बसी जिंदगी के काले कोनों को उजागर करती कहानियां भी | सांप्रदायिक सदभाव भीष्म जी के कथाकार की स्थायी चिंताओं में हमेशा रहा | इस संग्रह में शामिल कहानी 'मैं भी दिया जलाऊंगा, माँ |' गहरे मानवीय बोध के साथ इसी विषय को संबोधित कहानी है जिसमे एक मुस्लिम बच्चे के मन को अत्यन्त करुणा और भावप्रवणता के साथ उकेरा गया है | कहने की आवश्यकता नहीं कि भीष्म साहनी के पाठकों के लिए यहाँ-वहां प्रकाशित होती रही इन कहानियों की एकत्र प्रस्तुति पाठकों के लिए एक उपहार साबित होगी |

Bhishm Sahni

जन्म : 8 अगस्त, 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में। शिक्षा : हिन्दी-संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा घर में। स्कूल में उर्दू और अंग्रेजी। गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., फिर पंजाब विश्वविद्यालय से पी-एच.डी.। बँटवारे से पूर्व थोड़ा व्यापार, साथ-ही-साथ मानद (ऑनरेरी) अध्यापन। बँटवारे के बाद पत्रकारिता, इप्टा नाटक मंडली में काम, बंबई में बेकारी। फिर अम्बाला में एक कॉलेज में तथा खालसा कॉलेज, अमृतसर में अध्यापन। तत्पश्चात् स्थायी रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में साहित्य का प्राध्यापन। इस बीच लगभग सात वर्ष 'विदेशी भाषा प्रकाशन गृह’, मॉस्को में अनुवादक के रूप में कार्य। अपने इस प्रवासकाल में उन्होंने रूसी भाषा का यथेष्ट अध्ययन और लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का अनुवाद किया। करीब ढाई साल 'नई कहानियाँ’ का सौजन्य-सम्पादन। प्रगतिशील लेखक संघ तथा अफ्रो-एशियाई लेखक संघ से सम्बद्ध।
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