Hindi Ka Gadyaparv

Author:

Namvar Singh

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2019
ISBN-13

9788126718931

ISBN-10 9788126718931
Binding

Hardcover

Number of Pages 291 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 499
N.A.

Namvar Singh

जन्म-तिथि: 28 जुलाई, 1926। जन्म-स्थान: बनारस जिले का जीयनपुर नामक गाँव। प्राथमिक शिक्षा बगल के गाँव आवाजापुर में। कमालपुर से मिडिल। बनारस के हीवेट क्षत्रिय स्कूल से मैट्रिक और उदयप्रताप कालेज से इंटरमीडिएट। 1941 में कविता से लेखक जीवन की शुरुआत। पहली कविता इसी साल 'क्षत्रियमित्र’ पत्रिका (बनारस) में प्रकाशित। 1949 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.ए. और 1951 में वहीं से हिन्दी में एम.ए.। 1953 में उसी विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में अस्थायी पद पर नियुक्ति। 1956 में पी-एच.डी. ('पृथ्वीराज रासो की भाषा’)। 1959 में चकिया चन्दौली के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार। चुनाव में असफलता के साथ विश्वविद्यालय से मुक्त। 1959-60 में सागर विश्वविद्यालय (म.प्र.) के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर। 1960 से 1965 तक बनारस में रहकर स्वतन्त्र लेखन। 1965 में 'जनयुग’ साप्ताहिक के सम्पादक के रूप में दिल्ली में। इस दौरान दो वर्षों तक राजकमल प्रकाशन (दिल्ली) के साहित्यिक सलाहकार। 1967 से 'आलोचना’ त्रैमासिक का सम्पादन। 1970 में जोधपुर विश्वविद्यालय (राजस्थान) के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष-पद पर प्रोफेसर के रूप में नियुक्त। 1971 में 'कविता के नए प्रतिमान’ पर साहित्य अकादेमी का पुरस्कार। 1974 में थोड़े समय के लिए क.मा.मुं. हिन्दी विद्यापीठ, आगरा के निदेशक। उ8सी वर्ष जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (दिल्ली) के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर के रूप में योगदान। 1987 में वहीं से सेवा-मुक्त। अगले पाँच वर्षों के लिए वहीं पुनर्नियुक्ति। 1993 से 1996 तक राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष। फिलहाल महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति तथा आलोचना त्रैमासिक के प्रधान सम्पादक।.
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