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Publisher | Teenage Publishers |
Publication Year | 2021 |
ISBN-13 | 9780385385575 |
ISBN-10 | 0385385579 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 79 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 21.5X14X0.5 |
Weight (grms) | 110 |
महात्मा रोगी क्यों ?
क्या यह शर्म की बात नहीं है कि:-
•अधिकतर हमारे महात्माओं के सेठों की तरह तोंद निकली हुई होती है।
• अधिकतर महात्माओं के शरीर और चेहरे में स्वास्थ्य की झलक तक नहीं होती।
•कई महात्मा स्वाभाविक मौत के बजाये हार्ट अटैक से मरते है एक सामान्य तनावपूर्ण संसारी व्यक्ति की तरह।
•कई महात्माओं के बाईपास सर्जरी होती है, क्यों ये जीवन भर अपनी खान-पान की सुध नहीं रख पायें, ये कैसे बेहोश महात्मा ?
•कई महात्माओं को उच्च रक्तचाप की बीमारियाँ है। कई महात्माओं को मधुमेह की बीमारी सामान्य मानी जाती हैं।
•कई महात्मा विशेषकर नामी महात्मागण कैंसर जैसे महारोग से पीड़ित होकर मरें हैं। कई तो अल्पायु में मरे हैं।
•कब्ज,बवासीर,मोतिया,गंजापन,स्पोंडिलाइटिस,हर्निया जैसी बीमारियाँ तो आम पाई जाती है। जो उनके ग़लत आहार,गलत जीवन,व्यायाम की कमी के प्रत्यक्ष प्रमाण है।
●ये कैसे महात्मा कि जिन्हें सही आहार और व्यायाम का महत्व ही नहीं पता ?
• कई महात्मागण, सामान्य व्यक्तियों की तरह आम (प्रचलित) पका हुआ (रोगकारक) भोजन दिन-रात उपयोग करते हैं, कई तो चाय, कॉफी एवं अन्य नशीले पदार्थों के ज़बरदस्त आदी हैं और वे इसे भगवान का प्रसाद कहकर खुद को तथा समाज को धोखा देते हैं।
•कई महात्मागण तो ब्रेड,बिस्कीट,गरीष्ठ मिठाईयाँ,नमकीन,तली हुई वस्तुएँ नियमित अथवा अक्सर उपयोग करते हैं,कई तो कोल्ड ड्रींक्स तक पीने में संकोच नहीं करते है ?
•ऐसे प्रसाद खाकर या बाँटकर शरीर पर हिंसा करने वाले ये कैसे महात्मा ?
•आज भी प्रसाद के नाम पर लोगों को(भक्तों को)गरिष्ठ मिठाईयाँ,नमकीन तली हुई वस्तुएँ बांट कर पहले से ही इन ग़लत आहारों में उलझी हुई जनता को और रोगी बनाने में जुटे हुए हैं। ऐसे रोगकारक आहारों को ये भरपूर प्रोत्साहन देते हैं। इन्हें समाज का दुश्मन कहें या मित्र? ● जो शरीर तक को जीत नहीं सकें वो आत्मा को जीतने की बात करते हैं।
जानिये महात्माओं के शारीरिक,मानसिक और आत्मिक रोगों के कारण
Dr. N.K. Sharma
Teenage Publishers