Publisher |
PHI Learning |
ISBN-13 |
9789388028554 |
ISBN-10 |
9789388028554 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
612 Pages |
Language |
(Hindi) |
अपने में निहित विस्तृत और उद्देश्यपूर्ण सार्थक विषय सामग्री को प्रस्तुत करती हुई यह पुस्तक अपने पाठकों को ऐसे आवश्यक ज्ञान और कौशल से युक्त करने में सक्षम है जो उन्हें विकासशील बालकों को उनके विकास के उच्चतम शिखर पर आसीन होने में सहायता करने के साथ-साथ उन्हें अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन में भी पर्याप्त रूप से सहायक सिद्ध हो सके। अपने इस उद्देश्य की पूर्ती हेतु इसमें उन सभी प्रकरणों पर उचित रूप से प्रकाश डाला गया है जो बालकों में उनकी विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले वृद्धि एवं विकास, उनकी विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं तथा विशेषताओं, बुद्धि, सृजनशीलता तथा व्यक्तित्व विकास सम्ब्नधि आवश्यक बातों तथा बढ़ती हुई आयु सम्बन्धी व्यवहार समस्याओं, समायोजन तथा मानसिक स्वास्थ्य, तनावपूर्ण परिस्तिथियों सम्बन्धी जानकारी और उनके समाधान में सहायक हों। इसके साथ-साथ इसमें माता-पिता द्वारा बालकों के पालन-पोषण हेतु अपनाये जाने वाले तरीकों तथा उन सभी बातों की जानकारी देने का प्रत्यन किया गया है जो आज के इस औद्योगिक, वैशवीकरण, शहरीकरण, आधुनिकीकरण तथा आर्थिक परिवर्तनों के तीव्रगामी दौर में विकासशील बालकों को उनके विकास पथ पर आरूढ़ रखने के लिये चाहिए।
S.K. MANGAL
S.K. MANGAL (Ph.D., Education) has been Principal, and Professor and Head of the Department of Postgraduate Studies, C.R. College of Education, Rohtak, Haryana. A distinguished teacher and administrator who has devised several psychological tests, Professor Mangal is the author of, among others, Advanced Educational Psychology, Statistics in Psychology and Education and Essentials of Educational Psychology (all published by Prentice-Hall of India). He has also published extensively in reputed journals
S.K. MANGAL
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